Bihar School Fees Hike: बिहार के सरकारी स्कूलों में हुई फीस वृद्धि पर नजर डालें तो मनोरंजन शुल्क 10 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये किया गया है विद्यालय रखरखाव के लिए अलग से 50 रुपये हो गया है. उच्च माध्यमिक स्कूल में मनोरंजन शुल्क को 3 गुणा बढ़ाते हुए 60 रुपये किया गया है.
पटना. बिहार के सरकारी स्कूलों में अब एडमिशन (Bihar School Admission) महंगा हो गया है. शिक्षा विभाग ने माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रवेश शुल्क (School Admission Fee) में अप्रत्याशित वृद्धि का फैसला लिया है. इस फैसले के तहत अब इसे बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया गया है जबकि इससे पहले प्रवेश शुल्क के रूप में महज 15 से 20 रुपये देने पड़ रहे थे. शिक्षा विभाग ने इसके अलावा भी फीस वृद्धि को लेकर कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिये हैं, जिससे छात्रों को काफी राहत मिलेगी.
अब माध्यमिक विद्यालयों में अनुपस्थिति और विलंब शुल्क को खत्म कर दिया गया है जो कि एक रुपये देय था. विकास शुल्क के नाम पर माध्यमिक विद्यालयों में तो फीस वृद्धि नहीं की गई है और 80 रुपये ही विकास शुल्क देने होंगे जबकि उच्च माध्यमिक विद्यालयों में विकास शुल्क में वृद्धि कर 160 रुपये से 200 रुपये कर दिए गए हैं. वहीं माध्यमिक स्कूलों में पुनः प्रवेश शुल्क और पलायन शुल्क को भी समाप्त कर दिया गया है.
आदेश के मुताबिक मनोरंजन शुल्क में भी इजाफा करते हुए 10 रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये किया गया है जबकि विद्यालय रखरखाव के लिए अलग से 50 रुपये शुल्क तय किये गए हैं. उच्च माध्यमिक की बात करें तो यहां मनोरंजन शुल्क को 3 गुणा बढ़ाते हुए 60 रुपये किया गया है जबकि विद्युत शुल्क को 60 से बढ़ाकर 80 किया गया है साथ ही रखरखाव शुल्क में बदलाव नहीं करते हुए 150 रुपये ही रखा गया है. छात्रों को अब परिचय पत्र के लिए भी शुल्क देय होंगे जो कि पहले मुफ्त में प्रदान किया जाता था.
अब प्रवेश पत्र के लिए भी 20 रुपये देने होंगे. माध्यमिक में फॉर्म और प्रोस्पेक्ट्स के लिए भी अब 50 रुपये शुल्क देने होंगे जो पहले मुफ्त में मुहैया कराई जाती थी. इसके साथ ही माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के प्राचार्यों को अब और ज्यादा राशि खर्च करने की शक्ति प्रदान की गई है और अब प्राचार्य सालाना ढाई लाख तक खर्च कर सकेंगे. जो मापदण्ड तय किया गया है उसके मुताबिक अब 500 तक विद्यार्थियों पर सालाना डेढ़ लाख ,500 से अधिक पर 2 लाख और 750 से अधिक संख्या वाले प्राचार्य सालाना ढाई लाख खर्च कर सकेंगे.