यदि आप नौकरीपेशा हैं और सेवानिवृत्ति होने तक बड़ी बचत करना चाहते हैं तो वैकल्पिक भविष्य निधि (वीपीएफ) में निवेश करना अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। इसके तहत आपको इच्छानुसार अपने वेतन का कुछ अंश ईपीएफ खाते में ही जमा कराना होता है। इस पर ईपीएफ के अनुसार ही ब्याज मिलता है। आप वीपीएफ में जितना चाहें उतना योगदान दे सकते हैं।
क्या है वीपीएफ
इसे वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड कहा जाता है। यह ईपीएफ से ही जुड़ा हुआ है। ईपीएफ के लिए जो पैसा आपके वेतन से कटता है, उसके अतिरिक्त भी कुछ पैसा आप ईपीएफ में जमा करा सकते हैं। यह ईपीएफ के 12 फीसदी से अलग होता है। मान लीजिए आपके वेतन से ईपीएफ के 2500 रुपये कटते हैं तो आप इसे बढ़ाकर 5000 या इससे अधिक भी कर सकते हैं।
यह अतिरिक्त पैसा ही वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड कहलाता है। साल में अधिकतम डेढ़ लाख रुपये का निवेश ही इसमें किया जा सकता है। इसका फायदा सिर्फ ऐसे लोग उठा सकते हैं, जिनका ईपीएफ खाता हो। रिटायरमेंट को ध्यान में रखते हुए आप हर माह एक निश्चित रकम वीपीएफ में निवेश कर सकते हैं। बिना नौकरीपेशा लोग और असंगठित क्षेत्र के लोग इसका फायदा नहीं उठा सकते हैं।
कैसे खोल सकते हैं
ईपीएफ में अतिरिक्त अंश बढ़वाने के लिए आपको अपनी ऑफिस के एचआर या फाइनेंस टीम से संपर्क करना होगा। वहां वीपीएफ के लिए आवेदन देना होगा। उन्हें बताना होगा कि आप वेतन से कितना अतिरिक्त पैसा वीपीएफ के लिए देना चाहते हैं। इसके बाद वेतन से यह पैसा कटना शुरू हो जाएगा। चूंकि वीपीएफ ईपीएफ से ही जुड़ा है तो जितना ब्याज हर साल ईपीएफ खाते पर मिलता है, उतना ही वीपीएफ पर भी मिलेगा।
पीएफ की ब्याज की दर हर साल बदलती रहती है, लेकिन फिर भी पीपीएफ अकाउंट से ज्यादा ब्याज यहां मिलता है। इस पर हर साल एक निश्चित दर पर ब्याज मिलता है। साथ ही मिलने वाले ब्याज पर टैक्स भी नहीं देना होता। इस पर आयकर की धारा 80-सी के तहत छूट मिलती है। पीएफ की तरह लोन जैसी सुविधाएं आदि भी ले सकते हैं।