पंजाब में कांग्रेस ने ‘एक परिवार एक टिकट’ का फॉर्म्यूला लागू कर दिया है। इससे पंजाब कांग्रेस के उन नेताओं को झटका लगा है, जो अपने परिवार के लोगों को भी चुनावी समर में उतारने की तैयारी कर रहे थे। कांग्रेस की ओर से नियुक्त स्क्रीनिंग कमिटी ने एक और फैसला लिया है, जिसके तहत मौजूदा विधायक अपनी सीट नहीं बदल सकते हैं। गुरुवार रात को एक बार फिर से कांग्रेस महासचिव अजय माकन की लीडरशिप में मीटिंग हुई, जिसमें इस फैसले को लागू करने पर सहमति बनी है। कहा जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इस बात पर ज्यादा जोर दिया था कि एक परिवार एक टिकट का फॉर्म्यूला लागू किया जाना चाहिए।
इस बीच कांग्रेस ने विधानसभा टिकटों को लेकर भी बड़ी तैयारी कर ली है। राज्य के प्रभारी हरीश चौधरी ने कहा कि प्रदेश की कुल 117 सीटों में से 90 पर सहमति बन गई है। पार्टी की ओर से जिताऊ उम्मीदवारों की तलाश के लिए सर्वे भी कराया गया है। इस सर्वे में पता चला है कि कुछ मंत्री ऐसे हैं, जो आसानी से एक बार फिर चुनाव जीतने की स्थिति में हैं। सूत्रों के मुताबिक अगले सप्ताह केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हो सकती है, जिसके बाद 30 से 35 उम्मीदवारों का ऐलान हो सकता है। इस बीच शनिवार को एक बार फिर से स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक होने वाली है।
सिद्धू की जिद से बना नियम, CM चन्नी को भी लगेगा झटका
एक परिवार एक टिकट का नियम लागू होने से पहला झटका राज्य के सीएम चरणजीत सिंहह चन्नी को लगने वाला है। कहा जा रहा है कि उनके भाई डॉ. मनोहर सिंह बस्सी पठाना से चुनावी समर में उतरने की तैयारी कर रहे थे। इसके अलावा विधायक कपूरथला के विधायक राणा गुरजीत अपने बेटे को सुल्तानपुर लोधी सीट से उतारना चाहते थे। यही नहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद प्रताप सिंह बाजवा भी अपने भाई के लिए बैटिंग करने की तैयारी में थे। यही नहीं वरिष्ठ नेता राजिंदर कौर भट्टल और ब्रह्म मोहिंद्रा भी बेटों को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे थे।