कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद बच्चों में कुछ हल्के साइड इफेक्ट दिख सकते हैं. जानिए किन लक्षणों को आपको इग्नोर नहीं करना चाहिए.
Coronavirus Vaccine: 15 से 18 साल के बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा रही है. बच्चों में वैक्सीनेशन के बाद कुछ हल्के साइड इफेक्ट दिख सकते हैं. हालांकि ये लक्षण माइल्ड होते हैं और पैरेंट्स को इससे घबराने की जरूरत नहीं है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, वैक्सीन का पहला डोज लेने के बाद कुछ लक्षण नजर आएंगे, जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए.
इसके साथ ही ये भी जानना जरूरी है कि पहली डोज के तुरंत बाद ही असर दिखना नहीं शुरू होगा. पहली डोज के 4 हफ्ते बाद सेकंड डोज लगेगी और इसके भी 4 हफ्ते बाद इम्युनिटी विकसित होगी.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 18 और 60 प्लस के एज ग्रुप के लोगों में वैक्सीनेशन के कुछ संभावित साइड इफेक्ट दिखे थे और हो सकता है वो बच्चों में भी नजर आएं, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है. ये हल्के साइड इफेक्ट दिखाते हैं कि वैक्सीन ने अपना काम करना शुरू कर दिया है.
त्वचा पर लाल निशान और दर्द
हाथ में जहां पर वैक्सीन लगाई गई है, वहां लाल निशान और दर्द की समस्या हो सकती है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, वैक्सीनेशन के लाल निशान और दर्द को कम करने के लिए टीकाकरण वाले एरिया पर एक ठंडा, नरम कपड़ा रखें.
बेहोशी
वैक्सीन लगाने के बाद बेहोशी की समस्या भी हो सकती है. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, इसके लिए वैक्सीनेशन के बाद लगभग 15 मिनट तक बैठने या लेटने से ये समस्या नहीं होगी.
हल्का बुखार
वैक्सीनेशन के बाद बच्चों को हल्का बुखार हो सकता है. इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर दवाई लें.
थकान और दर्द
वैक्सीन लगवाने के बाद बच्चों को थकान और बदन दर्द की समस्या भी हो सकती है. CDC के मुताबिक, बच्चे को आराम करने दें और उन्हें अधिक मात्रा में लिक्विड पदार्थ दें. हालांकि पैकेज्ड लिक्विड चीजें देने से बचें.
चक्कर आना
वैक्सीनेशन के बाद कुछ बच्चों को चक्कर आने की समस्या हो सकती है. हालांकि ये वैक्सीन लगाने का साइड इफेक्ट नहीं है. ऐसा तब होता है जब बच्चे खाली पेट वैक्सीन ले लेते हैं, इसलिए इस बात पर ध्यान दें कि बच्चे खाली पेट वैक्सीन लगवाने न जाएं. इसके अलावा कई और लक्षण भी दिख सकते है. अगर आपको लगता है कि ये लक्षण माइल्ड नहीं हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले चिकित्सीय सलाह जरूर लें. )