TCS share: टीसीएस 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त तीसरी तिमाही और पिछले नौ महीनों के दौरान कंपनी के फाइनेंशियल रिजल्ट्स को मंजूरी देने के लिए 12 जनवरी को बैठक करेगी.
TCS share: देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का बोर्ड 12 जनवरी को होने वाली बैठक में शेयर बायबैक (Share Buyback) के प्रस्ताव पर विचार करेगा. कंपनी ने शुक्रवार को शेयर बाजार को दी जानकारी में कहा, “कंपनी बोर्ड कंपनी के इक्विटी शेयरों के बायबैक प्रस्ताव पर 12 जनवरी 2022 को होने वाली बैठक में विचार करेगा.” कंपनी ने हालांकि इसके अलावा कोई अन्य डीटेल नहीं दी है.
टीसीएस 31 दिसंबर, 2021 को समाप्त तीसरी तिमाही और पिछले नौ महीनों के दौरान कंपनी के फाइनेंशियल रिजल्ट्स को मंजूरी देने के लिए 12 जनवरी को बैठक करेगी. दरअसल, कंपनी जब अपने ही शेयरधारकों से शेयर वापस से खरीदती है, तो इसे बायबैक कहते हैं. यानी इसमें वे निवेशक ही हिस्स ले सकते हैं, जिनके पास उस कंपनी के शेयर हैं. बायबैक के लिए टेंडर ऑफर या ओपन मार्केट का इस्तेमाल किया जाता है.
TCS के पास सरप्लस कैश
सितंबर 2021 के आखिर तक TCS के पास 51,950 करोड़ रुपये का कैश और कैश इक्विलेंट्स है. शुक्रवार को शेयर का भाव 1.26 फीसदी बढ़कर 3,854.85 रुपये पर बंद हुआ. बता दें, कंपनियां जब शेयर बायबैक लाती हैं, वे बाजार भाव से ज्यादा प्रीमियम पर निवेशकों से शेयर वापस खरीदती हैं. ऐसे में करंट मार्केट प्राइस से निवेशकों को ज्यादा कीमत मिलती है.
TCS पहले भी कर चुकी है बायबैक
TCS ने पिछले साल दिसंबर में करीब 16,000 करोड़ रुपये का बायबैक किया था. कंपनी ने 3,000 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बायबैक किया था. इससे पहले 2018 में टीसीएस 16 हजार करोड़ रुपये का बायबैक किया था. इसमें 2,100 रुपये प्रति इक्विटी शेयर बायबैक किए गए थे. 2017 में भी कंपनी ने शेयरधारकों से शेयर वापस खरीदे थे. इसी तरह, इन्फोसिस और विप्रो भी सरप्लस केश अपने शेयराारकों को लौटाने के लिए बायबैक कर चुकी हैं.
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क्यों होता है शेयर बायबैक
आमतौर पर कंपनी की बैलेंसशीट में अतिरिक्त कैश होता है, तो वे शेयर बायबैक करती हैं. शेयर बायबैक के जरिए कंपनी अपने अतिरिक्त कैश का इस्तेमाल करती है. कई बार कंपनी को यह लगता है कि उसके शेयर की कीमत कम है (अंडरवैल्यूड) तो वह बायबैक के जरिए उसे बढ़ाने की कोशिश करती है. शेयर बायबैक करने के लिए कंपनी का बोर्ड प्रस्ताव की मंजूरी देता है. मंजूरी मिलने के बाद कंपनी एक कार्यक्रम में रिकॉर्ड डेट और बायबैक किस तारीख को किया जायेगा उसका एलान करती है. रिकॉर्ड डेट वह डेट है जिस दिन तक निवेशको के पास उस कंपनी के शेयर होते है और वे उस कंपनी के बायबैक में हिस्सा ले सकते हैं.