राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने से पायलट कैंप और गहलोत कैंप में एक बार फिर ठन गई है। राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट नाराज हो गए है। गहलोत कैंप चाहता है कि बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को विभिन्न आयोगों और बोर्डों का अध्यक्ष बनाया जाए, लेकिन पायलट कैंप चाहता है कि पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां दी जाए। इसी मुद्दे पर सुलह नहीं हो पाने की वजह से दोनों खेमों में एक बार फिर ठन गई है। नियुक्तियों में हो रही देरी की वजह से पायलट खुलकर सामने आ गए है। पायलट को कहना पड़ा कि एआईसीसी से लेकर प्रदेश कांग्रेस संगठन स्तर पर बहुत चर्चा हो गई है। पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को राजनीतिक नियुक्तयों को तोहफा मिलना चाहिए। कांग्रेस को 2023 में रिपीट करना है तो नियुक्तियां देने में देरी नहीं करनी चाहिए। राजस्थान में विभिन्न आयोगों- बोर्डों में 40 बड़ी राजनीतिक नियुक्तियां और 400 के आसपास ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्तियां होनी है। गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल के 3 वर्ष पूरे कर चौथे साल में प्रवेश कर गई है। लेकिन राज्य में बहुप्रतीक्षित राजनीतिक नियुक्तियां नहीं हो पा रही है।
वक्फ बोर्ड का चैयरमेन बनने पर जगी थी उम्मीद
हाल ही नें खानू खान बुधवाली के वक्फ बोर्ड को चैयरमेन बनने का बाद यह उम्मीद भी जगी। गहलोत कैंप की ओर से कहा गया कि 31 जनवरी के अंत तक प्रदेश में बड़े स्तर पर राजनीतिक नियुक्तियां हो जाएंगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने संकेत दिए थे। पायलट कैंप आश्वस्त था। लेकिन फिलहाल किसी भी तरह की राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने से मिले संकेतों से पायलट कैंप के विधायक नाराज हो गए है। पायलट कैंप के पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी ने राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने पर हाल ही में अपना दर्द भी बयां किया है। राजेंद्र चौधरी ने कहा कि पार्टी में हाईकमान की चलती है। लेकिन पार्टी हाईकमान को प्रदेश संगठन सही फीडबैक नहीं दे पा रहा है। सब सत्ता के साथ रहते हैं। सत्ता नहीं होने पर सब साथ छोड़ देते हैं। पायलट कैंप के वेदप्रकाश सोलंकी भी राजनीतिक नियुक्तियों में देरी की वजह से गहलोत सरकार पर निशाना साध चुके हैं।
छोटी-बड़ी करीब 10 हजार नियुक्तियां होनी है
राज्य में छोटी-बड़ी करीब 10 राजनीतिक नियुक्तियां होनी है। नियुक्तियों में देरी की वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं के इंतजार अब जवाब देता जा रहा है। राज्य में चुनाव के सिर्फ 22 महीने बचे हैं। संगठन स्तर पर मिशन 2023 की तैयारी भी चल रही है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता उचित मान-सम्मान नहीं मिलने से नाराज बताए जा रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि राजनीतिक नियुक्तियों में देरी नहीं करनी चाहिए। देरी का असर चुनाव की तैयारियों पर पड़ेगा। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा पूरी तैयारी के साथ मिशन 2023 के लिए जुटी है।