भारत और फिलीपींस आज यानी 28 जनवरी को ब्रह्मोस मिसाइल सौदे को अंतिम रूप देने के लिए तैयार हैं। फिलीपींस की नौसेना के लिए सुपरसोनिक मिसाइलों की खरीद को लेकर दोनों देश 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे पर हस्ताक्षर करेंगे। इस मौके पर फिलीपींस के शीर्ष रक्षा अधिकारी मौजूद रहेंगे जबकि भारत का प्रतिनिधित्व उसके राजदूत करेंगे। हाल ही में फिलीपींस ने करीब 37.5 करोड़ डॉलर (27.89 अरब रुपये) के सौदे पर मंजूरी की मुहर लगाई थी।
यह सौदा क्वेजोन सिटी में फिलीपींस के राष्ट्रीय रक्षा विभाग में आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम में किया जाएगा। समारोह में भाग लेने वालों में फिलीपींस के रक्षा सचिव डेल्फ़िन लोरेंजाना भी शामिल होंगे।
भारत को मिलेगा बल
बता दें कि भारत सरकार आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ रक्षा उपकरणों के कारोबार में भी स्थिति बेहतर करना चाहती है। इस कदम से बड़े हथियारों के निर्यातक बनने के भारत के प्रयासों को और बल मिलेगा। साथ ही दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के लिए भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित मिसाइल हासिल करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
बताते चलें कि 14 जनवरी को फिलिपीन ने अपनी नौसेना के लिए तट पर तैनात होने वाली जहाज रोधी मिसाइलों की आपूर्ति को लेकर ब्रह्मोस एयरोस्पेस के साथ 37.5 करोड़ डॉलर का अनुबंध किया था।
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चीन को लगा तगड़ा झटका
यह रक्षा सौदा चीन के लिए सही नहीं मानी जा रही है। दरअसल, फिलीपींस का दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ विवाद है। फिलीपीन मरीन का इरादा ब्रह्मोस को तट-आधारित एंटी-शिप मिसाइल के रूप में इस्तेमाल करना है। दक्षिण चीन सागर उन संभावित क्षेत्रों में से एक है जहां सिस्टम को तैनात किया जा सकता है।
इस सौदे में तीन बैटरी की डिलीवरी, ऑपरेटरों और अनुरक्षकों (maintainers) के लिए प्रशिक्षण और एक एकीकृत रसद समर्थन (ILS) पैकेज शामिल है। ब्रह्मोस के लिए सौदे की परिकल्पना 2017 में की गई थी और फिलीपींस के राष्ट्रपति के कार्यालय ने 2020 में सेना की “Horizon 2 Priority Projects” में इसे शामिल करने को मंजूरी दी थी।
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ब्रह्मोस खरीदने वाला पहला देश
हिंदुस्तान टाइम्स ने पहली बार दिसंबर 2019 में रिपोर्ट दी थी कि फिलीपींस ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम खरीदने वाला पहला देश बनने के लिए तैयार है। दोनों पक्ष 2021 की शुरुआत में राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते की प्रस्तावित यात्रा के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर करने के इच्छुक थे लेकिन कोविड -19 महामारी के कारण यह योजना विफल हो गई।
बता दें कि ब्रह्मोस भारतीय नौसेना के युद्धपोतों की मुख्य हथियार प्रणाली है और इसे इसके लगभग सभी सतह प्लेटफार्मों पर तैनात किया गया है। इसका एक पानी के नीचे वाला संस्करण भी विकसित किया जा रहा है जिसका उपयोग न केवल भारत की पनडुब्बियों द्वारा किया जाएगा, बल्कि मित्र देशों को निर्यात के लिए भी पेश किया जाएगा।