नई दिल्ली, पीटीआइ। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की गर्भवती महिलाओं की भर्ती संबंधी गाइडलाइंस के कारण दिल्ली महिला आयोग ने बैंक को नोटिस जारी किया है। आयोग ने गाइडलाइन को भेदभावपूर्ण और अवैध करार दिया है। दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक ने गर्भवती महिला उम्मीदवारों के लिए भर्ती नियमों में बदलाव किया है। इन नियमों के अनुसार नई भर्ती की स्थिति में 3 महीने से अधिक गर्भवती महिला उम्मीदवारों को अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा। वहीं ऐसी महिला प्रसव होने के 4 महीने के भीतर ड्यूटी ज्वाइन कर सकती हैं।
बैंक को गाइडलाइन और रूल की एक कॉपी जमा करने के लिए कहा
दिल्ली महिला आयोग ने बैंक को नोटिस जारी कर इन नियमों में फिर बदलाव करने को कहा है। वहीं आयोग के मुताबिक कोई बैंक इस तरह के आधार बनाकर किसी महिला को नौकरी से कैसे मना कर सकता है। इसके अलावा डीसीडब्ल्यू ने एसबीआई से मंगलवार तक नोटिस का जवाब देने को कहा है। वहीं नोटिस में बैंक को गाइडलाइन और रूल की एक कॉपी जमा करने के लिए कहा गया है। हालांकि बैंक के नए नियमों के कारण काफी आलोचना हो रही है, वहीं बैंक की तरफ से इसपर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
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गर्भवती महिला उम्मीदवारों के लिए भर्ती नियमों में बदलाव
बता दें कि एसबीआई ने गर्भवती महिला उम्मीदवारों के लिए भर्ती नियमों में बदलाव किया था। बैंक के मुताबिक नए नियमों के तहत नई भर्ती की स्थिति में तीन महीने से अधिक गर्भवती महिला उम्मीदवारों को ‘अस्थायी रूप से अयोग्य’ माना जाएगा। वे प्रसव के बाद चार महीने के भीतर बैंक आ सकती हैं। एसबीआई ने नई भर्तियों या पदोन्नत लोगों के लिए अपने नवीनतम मेडिकल फिटनेस दिशानिर्देशों में कहा कि तीन महीने के समय से कम गर्भवती महिला उम्मीदवारों को ‘फिट’ माना जाएगा।
दिसंबर में जारी किए फिटनेस के नए नियम
बैंक द्वारा 31 दिसंबर, 2021 को जारी फिटनेस संबंधित मानकों के अनुसार गर्भावस्था के तीन महीने से अधिक होने की स्थिति में महिला उम्मीदवार को अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा। इस स्थिति में उन्हें बच्चे के जन्म के बाद चार महीने के भीतर शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है।