दिल्ली सरकार जल्द ही राजधानी के सभी पेट्रोल पंपों पर वाहन में ईंधन (पेट्रोल-डीजल) भरवाने के लिए प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र (पीयूसी) अनिवार्य करने जा रही है। दिल्ली के पर्यावरण विभाग ने वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए यह मसौदा तैयार किया है। इसे अधिसूचित करने से पहले ड्राफ्ट नीति पर जनता से सुझाव लिए जाएंगे। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इससे प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को दिल्ली में चलने से रोका जा सकेगा।
मसौदे के मुताबिक, किसी भी वाहन मालिक ने वैध पीयूसी नहीं दिखाई तो उसे ईंधन नहीं मिलेगा। पेट्रोल पंप पर ही पीयूसी जांच की सुविधा मिलेगी। चालान भी नहीं किया जाएगा।
वाहनों का धुआं प्रदूषण का बड़ा कारण
गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली समेत सहित उत्तर भारत के राज्यों में विशेष रूप से सर्दियों के दौरान गंभीर वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। उसमें वाहनों से निकलने वाला धुआं भी एक बड़ा कारक है। उन्होंने कहा कि इस नीति के लागू होने के बाद वाहनों को पंपों पर ईंधन भरवाते समय पीयूसी प्रमाण पत्र को अनिवार्य रूप से साथ रखना होगा। वैसे परिवहन विभाग समय-समय वाहनों का जांच अभियान चलाता है, मगर यह नीति यह सुनिश्चित करेगी की कोई वाहन बिना पीयूसी सड़क पर न चले।
प्रदूषण में वाहनों की भागीदारी 42 फीसदी : प्रदूषण पर काम करने वाली कई संस्थाओं के अध्ययन में यह सामने आया है कि दिल्ली में प्रदूषण का कारण सिर्फ बाहरी नहीं है। उसमें राज्य के आंतरिक कारण भी शामिल हैं। उसमें वाहनों की भागीदारी सबसे अधिक है। दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों के धुएं की भागीदारी 42 फीसदी से ज्यादा की है।
दिल्ली परिवहन विभाग के आंकड़ों की मानें तो भारी भरकम चालान के बाद भी दिल्ली में 12 से 15 लाख वाहनों के चालक अब भी समय पर प्रदूषण जांच नहीं कराते हैं।
दस जोन में कुल 966 जांच केंद्र बनाए गए
प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए वाहनों की जांच की जांच की जाती है। यह एक निश्चित समय के बाद कराना अनिवार्य होता है। यूरो चार व उसके ऊपर के वाहनों को यह साल में एक बार कराना होता है। इसी तरह बाइक को छह-छह माह में कराना अनिवार्य होता है। जांच के लिए दिल्ली के 10 जोन में कुल 966 प्रदूषण जांच केंद्र बनाए गए हैं।