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तेल और जिंस की कीमतें आगे आएंगी नीचे, बजट में इसका रखा गया है खास ख्‍याल : नीति आयोग

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यह बजट मुद्रास्फीति को बढ़ाने नहीं जा रहा है। मुझे नहीं लगता है कि बजट में ऐसा है। हां यह जरूर है कि वैश्विक स्तर की मुद्रास्फीति का असर होगा। IMF ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि 5.9 प्रतिशत से घटकर 4.8 प्रतिशत रहेगी।

नई दिल्‍ली, बिजनेस डेस्‍क। बजट 2022-23 से मुद्रास्फीति का कोई दबाव नहीं पड़ेगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय स्‍तर पर ईंधन और जिंस कीमतों में बढ़ोतरी का दौर शायद आगे न जारी रहे। कुमार ने भारतीय प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज (एएससीआई) की तरफ से बजट पर आयोजित एक व्याख्यान में कहा कि वैश्विक सुस्ती काफी हद तक अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्थाओं में नरमी की वजह से है।

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उन्होंने कहा कि यह बजट मुद्रास्फीति को बढ़ाने नहीं जा रहा है। मुझे नहीं लगता है कि बजट में ऐसा है। हां, यह जरूर है कि वैश्विक स्तर की मुद्रास्फीति का असर होगा। IMF ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि 5.9 प्रतिशत से घटकर 4.8 प्रतिशत रहेगी। यह गिरावट काफी हद तक दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में छाई सुस्ती का नतीजा है।

नीति आयोग उपाध्यक्ष ने कहा कि ऐसी स्थिति में मुझे लगता है कि तेल और अन्य जिंस कीमतों पर दबाव नरम होकर कम होगा। लिहाजा मुझे उम्मीद है कि ईंधन एवं जिंसों की कीमतों में वृद्धि उस तरह होगी जिस तरह वर्ष 2021 में हुई थी। हालांकि, उन्होंने खाद्य मुद्रास्फीति को बड़ी चिंता का विषय बताते हुए कहा कि इसका बेहतर प्रबंधन किया जा सकता है।

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वित्त वर्ष 2022-23 के बजट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें भारत को अगले 25 वर्षों में डिजिटल रूप से सशक्त, विश्वस्तरीय ढांचे से लैस और स्तरीय शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए एक ठोस बुनियाद रखने की बात की गई है। कुमार ने कहा कि मेरी राय में इस बजट की मुख्य विषयवस्तु अगले 25 वर्षों के लिए एक ठोस बुनियाद रखने से जुड़ी है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह बजट समावेशी विकास को बेहतर ढंग से अंजाम देने और व्यवस्था के निचले स्तर पर मौजूद लोगों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करने की बात करता है।

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