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खरीफ फसलों के लिए यूरिया और डीएपी की कमी नहीं होने देगी सरकार, कर रही ये तैयारी 

Kharif season in India: सरकार ने किसानों को उर्वरकों की पर्याप्त और तय समय में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यूरिया और डीएपी का उम्मीद से ज्यादा शुरुआती भंडार रखने का लक्ष्य रखा है.

Kharif season in India: किसानों को इस साल खरीफ की फसल (kharif crops) के लिए यूरिया और डीएपी (Urea and DAP) की कोई किल्लत न हो, इसकी तैयारी अभी से करनी शुरू कर दी है. सरकार ने किसानों को उर्वरकों की पर्याप्त और तय समय में आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए यूरिया और डीएपी का उम्मीद से ज्यादा शुरुआती भंडार रखने का लक्ष्य रखा है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, एक बड़े सरकारी अधिकारी ने बुधवार को कहा कि खरीफ फसलों के लिए सरकार ने उर्वरक उपलब्धता को लेकर एडवांस तैयारियां शुरू कर दी हैं.

खरीफ फसलों की बुवाई मॉनसूनी बारिश शुरू होने के साथ होती है
खबर के मुताबिक, अधिकारी ने कहा कि इंटरनेशनल मार्केट से उर्वरक और दूसरा कच्चा माल जुटाने से यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) का उम्मीद से ज्यादा शुरुआती भंडार रखने में मदद मिलेगी. देश में खरीफ फसलों (kharif crops) की बुवाई मॉनसूनी बारिश शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाती है. हालांकि, इन फसलों के लिए उर्वरक और दूसरे पौष्टिक तत्वों की जरूरत अप्रैल और सितंबर के बीच ही पड़ती है.

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डीएपी का शुरुआती भंडार 25 लाख टन रहने का अनुमान
अधिकारी ने कहा कि खरीफ सत्र (kharif crops) 2022 में डीएपी का शुरुआती भंडार 25 लाख टन रहने का अनुमान है जो खरीफ सत्र 2021 के 14.5 लाख टन रहा था. यूरिया के मामले में शुरुआती भंडार 60 लाख टन रहने की उम्मीद है जो पिछले साल 50 लाख टन रहा था. अधिकारी ने कहा कि भारत यूरिया और मिट्टी को और सक्षम बनाने वाले तत्वों की सप्लाई सुधारने के लिए कई देशों के साथ बातचीत कर रहा है और इसके लिए दीर्घकालिक आपूर्ति समझौतों की संभावना टटोल रहा है.

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इस वजह से बढ़े उर्वरक के दाम
अधिकारी के मुताबिक, कोविड-19 महामारी और चीन की तरफ से लगाई पाबंदियों की वजह से उर्वरकों की आपूर्ति पर असर पड़ा है जिसने इसके दाम बढ़ा दिए हैं. इस स्थिति में भारत पहले से ही अपनी तैयारियों में लगा हुआ है. भारत अपनी जरूरत का 45 प्रतिशत डीएपी और कुछ यूरिया का आयात चीन से करता है. यूरिया को छोड़कर डीएपी और दूसरी फॉस्फेट उर्वरकों की कीमतें निजी कंपनियां तय करती हैं. कच्चे माल की वैश्विक कीमतें बढ़ने से घरेलू स्तर पर भी डीएपी के दाम बढ़े हैं.

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