India Cuts Tax On Crude Palm Oil Import भारत ने कच्चे पाम ऑयल के आयात टैक्स को 7.5% से घटाकर 5% कर दिया है जिससे कमोडिटी की स्थानीय कीमतों पर लगाम लगाने और घरेलू रिफाइनर तथा उपभोक्ताओं की मदद करने की कोशिश की गई है।
नई दिल्ली, रॉयटर्स। भारत ने कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) के आयात पर टैक्स को 7.5% से घटाकर 5% कर दिया है। सरकार ने इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की है। इसके जरिए दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल आयातक ने कमोडिटी की स्थानीय कीमतों पर लगाम लगाने और घरेलू रिफाइनर तथा उपभोक्ताओं की मदद करने की कोशिश की है।
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उद्योग के अधिकारियों ने रॉयटर्स को बताया कि टैक्स, जिसे एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट सेस (एआईडीसी) के नाम से जाना जाता है, उसमें कमी से सीपीओ और रिफाइंड पाम ऑयल आयात शुल्क के बीच गैप बढ़ जाएगा, जिससे भारतीय रिफाइनर के लिए सीपीओ आयात करना सस्ता हो जाएगा। टैक्स में कटौती रविवार से लागू हो गई है।
मुंबई स्थित सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने कहा, “एआईडीसी में कमी के बाद, सीपीओ और रिफाइंड पाम तेल के बीच आयात कर अंतर बढ़कर 8.25% हो जाएगा।” उन्होंने कहा, “इससे भारतीय रिफाइनर को मदद मिलेगी, लेकिन स्थानीय रिफाइनिंग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार को अंतर को 11% तक बढ़ाने की जरूरत है।”
बता दें कि भारत अपनी खाद्य तेल जरूरतों का दो-तिहाई से अधिक आयात करता है और पिछले कुछ महीनों में स्थानीय तेल की कीमतों में तेजी को रोकने के लिए संघर्ष कर रहा है। देश मुख्य रूप से शीर्ष उत्पादकों इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम तेल का आयात करता है, जबकि अन्य तेल- जैसे सोया और सूरजमुखी अर्जेंटीना, ब्राजील, यूक्रेन और रूस से आते हैं।
वनस्पति तेल ब्रोकरेज और कंसल्टेंसी फर्म सनविन ग्रुप के मुख्य कार्यकारी संदीप बाजोरिया ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में भारत के कुल पाम तेल आयात में रिफाइंड पाम तेल का आयात लगभग आधा है। बाजोरिया ने कहा, “कर ढांचे में संशोधन के साथ रिफाइंड पाम तेल की हिस्सेदारी 20% तक कम हो सकती है।”
एक अलग अधिसूचना में सरकार ने यह भी कहा कि वह 30 सितंबर तक खाद्य तेलों पर एक अलग, मूल सीमा शुल्क में कमी का विस्तार करेगी। कर कटौती 31 मार्च को समाप्त होने वाली थी।