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चीन के सस्ते और घटिया माल को भारत में लाना होगा मुश्किल, ऐसे लगाम लगाने की तैयारी में सरकार

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केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) छोटी-छोटी वस्तुओं के आयात को लेकर मूल्यांकन पद्धति (वैल्यूएशन प्रोविजनिंग) लाने जा रहा है। इससे आयात के दौरान होने वाली कर चोरी के साथ-साथ घटिया माल के आयात पर भी रोक लगेगी।

नई दिल्ली, राजीव कुमार। चीन से आने वाले सस्ते और घटिया माल पर नियंत्रण की तैयारी हो गई है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) छोटी-छोटी वस्तुओं के आयात को लेकर मूल्यांकन पद्धति (वैल्यूएशन प्रोविजनिंग) लाने जा रहा है। इससे आयात के दौरान होने वाली कर चोरी के साथ-साथ घटिया माल के आयात पर भी रोक लगेगी। चीन से छोटे-छोटे खिलौने, पर्स, जूते-चप्पल, स्पो‌र्ट्स वियर, रेडीमेड गारमेंट्स, टेक्सटाइल से जुड़ी अन्य वस्तुएं और प्लास्टिक की छोटी वस्तुएं भरपूर मात्रा में आयात की जाती हैं। इसका नतीजा यह होता है कि देश के छोटे उद्यमियों द्वारा निर्मित इस प्रकार की वस्तुएं कम बिकती हैं क्योंकि उनकी कीमत चीन से आने वाले घटिया माल के मुकाबले अधिक होती है।

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सीबीआइसी सूत्रों के मुताबिक, छोटी-छोटी वस्तुओं के आयात का मूल्य इतना कम होता है कि इनके लेन-देन मूल्य का पता नहीं लगता। विभाग इस प्रकार की वस्तुओं की पहचान करेगा, फिर उनके आयात पर एक निश्चित समय तक निगरानी रखी जाएगी। इसके बाद उद्योग जगत की मदद से विभाग संबंधित वस्तुओं के आयात के आंकड़े एकत्र करके उनका आयात मूल्य तय करेगा। उससे कम मूल्य पर आयात होने पर आयातकों को उसकी सत्यता स्थापित करनी होगी। यह प्रक्रिया अगले एक-दो महीने में शुरू हो सकती है।

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उद्यमियों ने बताया कि चीन से खिलौने, पर्स, प्लास्टिक की छोटी-छोटी वस्तुएं मंगाने के दौरान चीन के कारोबारियों से मिलीभगत करके आयात का बिल कम (अंडरवैल्यू) कर दिया जाता है। इससे आयातक को टैक्स कम देना पड़ता है। उद्यमियों ने बताया कि सीबीआइसी की तरफ से इस प्रकार के नियम लागू होने से आयात का मूल्य अधिक हो जाएगा और उन्हें बाजार में अधिक दाम पर बेचना पड़ेगा। फिर घटिया प्रकार की सस्ती चीनी वस्तुएं भारतीय वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगी। इसका फायदा यह होगा कि उन छोटी-छोटी वस्तुओं का उत्पादन फिर से शुरू हो जाएगा, जिनके बाजार पर चीन का दबदबा है। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) को सबसे अधिक फायदा मिलेगा।

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एसबीआइ रिसर्च के मुताबिक, भारत ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 की अप्रैल-दिसंबर की अवधि में चीन से प्लास्टिक, रबर और इस प्रकार की वस्तुओं का 10.3 करोड़ डालर का आयात किया है। टेक्सटाइल से जुड़ा 44.2 करोड़ डॉलर का आयात किया गया। एसबीआइ इकोरैप के मुताबिक, कम मूल्य वाली वस्तुओं के चीन से होने वाले आयात में तैयार माल के साथ इंटरमीडिएट आइटम भी शामिल हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, कम मूल्य वाले आयात में चीन की हिस्सेदारी कम करने के लिए भारत को फुटवियर और टेक्सटाइल जैसे सेक्टर में अपनी क्षमता का विकास करना होगा।

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