छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की एकल पीठ ने प्रदेश में 446 चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना (कास्ट) भी लगाया है। कोरोनाकाल के दौरान नियुक्ति को लेकर शुरुआत में शासन से त्रुटि हुई थी, जिसे संशोधित कर दूसरा विज्ञापन भी जारी किया गया है। शासन ने तर्क दिया कि भर्ती प्रावधान के अनुसार है और प्रक्रिया को निरस्त करना उचित नहीं है। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य के अस्पतालों में डॉक्टरों की नियुक्ति का रास्ता भी साफ हो गया है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के महाधिवक्ता कार्यालय से प्राप्त आधिकारिक जानकारी के अनुसार राज्य सरकार द्वारा पिछले वर्ष 446 चिकित्सा अधिकारियों की नियमित भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता एमबीबीएस रखी गई थी। नियुक्ति साक्षात्कार के आधार पर होनी थी, जिसे याचिकाकर्ता डॉ. कमल सिंह राजपूत ने उच्च न्यायालय मे चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि बिना लिखित परीक्षा के नियुक्ति किया जाना नियमों के खिलाफ है। मामले की प्रथम सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने स्थगन जारी करते हुए नियुक्ति पर रोक लगा दी थी।
प्रदेश के चिकित्सालयों में डॉक्टरों की बहुत कमी
बुधवार को मामले में अंतिम सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल की एकल पीठ में हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से तर्क रखा गया कि प्रदेश में विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों की बहुत जरूरत है। नियम में सीधे साक्षात्कार के आधार पर नियुक्ति करने का प्रावधान है। न्यायालय को यह भी बताया गया कि पारदर्शिता बनाये रखने के लिए राज्य ने शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और अन्य मेडिकल कार्य के अनुभव के नंबर अलग-अलग रखे हैं। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका को खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता पर कोर्ट ने 25 हजार रुपये का जुर्माना (कास्ट) भी लगाया है।