यूपी विधानसभा चुनाव के प्रचार के सिलसिले में आज (24 फरवरी, 2022) अमेठी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने अपने सियासी करियर के बड़े माइलस्टोन को याद किया. मोदी ने कहा कि आज से बीस साल पहले 24 फरवरी ही वो तारीख थी, जब वो पहली बार विधायक बने थे. मोदी के मुताबिक, पहली बार अचानक उन्हें चुनाव के मैदान में आना पड़ा था और राजकोट के लोगों ने उन्हें जो आशीर्वाद दिया, उसके बाद से सेवा का सिलसिला शुरू हुआ, जो लगातार जारी है. मोदी ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वो चुनावी रास्ते पर जाएंगे या चुनावी दंगल में उतरेंगे.
मोदी ने उस दिन जो पहला कदम बढ़ाया था, वो दो दशक की अनवरत यात्रा में तब्दील हो चुका है. मोदी के मुताबिक जन प्रतिनिधि के तौर पर उनकी ये यात्रा जनता जनार्दन की सेवा की सशक्त यात्रा है. मोदी को गुजरात की राजकोट-2 विधानसभा सीट से वर्ष 2002 के फरवरी महीने में उपचुनाव लड़ना पड़ा था. उसकी नौबत इसलिए आई क्योंकि अक्टूबर 2001 में गुजरात का सीएम बनने के बाद छह महीने के अंदर उनको विधानसभा का सदस्य बनने की संवैधानिक मर्यादा को पूरा करना था. मोदी राजकोट से चुनाव लड़े और जीते भी.
24 फरवरी 2002 को उस उपचुनाव के परिणाम आए थे. मोदी ने 14728 वोटों के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी के ऊपर जीत हासिल की थी. मोदी के लिए राजकोट-2 की सीट राज्य के वरिष्ठ बीजेपी नेता वजूभाई वाला ने खाली की थी, जो लंबे समय तक गुजरात में वित्त मंत्री रहे थे और बाद में कर्नाटक के राज्यपाल भी. 24 फरवरी 2002 के दिन ही यूपी विधानसभा चुनावों के परिणाम आए थे. किसी भी दल को साफ बहुमत नहीं मिला था, इसलिए कुछ हफ्तों के लिए यूपी में राष्ट्रपति शासन भी लगाना पड़ा था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जीवन का दूसरा चुनाव अहमदाबाद की मणिनगर सीट से लड़ा. गांधीनगर से नजदीकी मोदी के इस फैसले के लिए जिम्मेदार रही, ताकि वो अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के बीच आसानी से जा सकें, उनकी सेवा कर सकें. मोदी यहीं से 2007 और 2012 में भी बड़े मार्जिन से विधानसभा का चुनाव जीते.
2002, 2007 और 2012 के चुनावों में नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ खुद बड़े मार्जिन से जीत हासिल की, बल्कि अपनी पार्टी को भी बंपर जीत दिलाने में कामयाब रहे. जीत की इसी हैट्रिक और सीएम के तौर पर गुजरात में विकास कार्यों के कारण पूरे देश में मोदी की लहर पैदा हुई, जिस पर सवार होकर 2014 में वो PM बने. उन्होंने 2014 और 2019 लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी को भी रिकॉर्ड तोड़ जीत दिलाई.
बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर नरेंद्र मोदी ने 2014 में वडोदरा और वाराणसी दोनों जगह से लोकसभा का चुनाव जीता, बड़े मार्जिन से. लेकिन वडोदरा की जगह उन्होंने वाराणसी से ही संसद में बने रहने का फैसला किया. वाराणसी से ही PM नरेंद्र मोदी 2019 का भी लोकसभा चुनाव बड़े मार्जिन से जीते.
सीएम से पीएम तक मोदी ने जन प्रतिनिधि के तौर पर, चाहे अपना विधानसभा क्षेत्र हो या फिर लोकसभा क्षेत्र, दोनों का भरपूर विकास किया. यही वजह रही कि मणिनगर की चमक लगातार बढ़ती गई, 2014 से वाराणसी में भी यही नजारा है. विश्वनाथ कॉरिडोर की चर्चा है, घाटों व सड़कों की सफाई-सुंदरता बढ़ी है. ढेर सारी बड़ी परियोजनाएं लागू हुई हैं. बाबा विश्वनाथ की प्राचीन नगरी निखर गई है, जिसे नरेंद्र मोदी ने क्योटो की तर्ज पर विकसित करने का संकल्प लिया था.
नरेंद्र मोदी लगातार अपने चुनाव क्षेत्रों में जाते रहे हैं. जन प्रतिनिधि के तौर पर किसी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के अपने चुनाव क्षेत्र के दौरै का ये रिकॉर्ड ही होगा, वो भी तब जबकि प्रतिनिधि उन क्षेत्रों का मूल निवासी न हो और वहां पर उसकी स्थायी रिहाइश नहीं हो. लेकिन मोदी अपने क्षेत्र के लोगों के लिए हमेशा समय निकालते रहे हैं.
अपने इस अनूठे रिकॉर्ड की चर्चा अमेठी में कर मोदी ने कही न कही वहां के लोगों को नेहरू- गांधी परिवार के बारे में आईना दिखाने की कोशिश की. नेहरू- गांधी परिवार के चार सदस्य यहां से चुने गये, लेकिन अमेठी का विकास नहीं हो सका. नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसी कारण जनता ने यहां से परिवार को भगा दिया.
सबसे पहले संजय गांधी 1980 में अमेठी से सांसद बने थे. 1981 में उनकी मृत्यु के बाद राजीव गांधी 1981, 1984, 1989 और 1991 में चुने गये. उनकी हत्या के बाद सतीश शर्मा यहां से 1991 का उपचुनाव जीते और फिर 1996 में आम चुनाव. 1998 में संजय सिंह ने बीजेपी की तरफ से यहां पहली जीत हासिल की. 1999 में खुद सोनिया गांधी यहां से चुनाव लड़ने आईं, उसके बाद 2004, 2009 और 2014 का चुनाव यहां से राहुल गांधी जीते. 2014 में बीजेपी से यहां स्मृति ईरानी ने राहुल को चुनौती दी थी और 2019 में उनकी कोशिश सफल रही, राहुल को करारी हार मिली अमेठी में. केरल के वायनाड से संसद में आना पड़ा राहुल गांधी को.
नरेंद्र मोदी की तरफ से जन प्रतिनिधि के तौर पर अपने क्षेत्र का विकास और नेहरू-गांधी परिवार की तरफ से अपने लोकसभा क्षेत्र की उपेक्षा, दोनों की राजनीति के बीच अंतर साफ है. इसी फर्क को अमेठी में वोटरों को समझाते नजर आए नरेंद्र मोदी, जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं और जनता फैसला करने में लगी है.