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पॉक्सो मामले में ‘प्रेम संबंध’ या ‘शादी से इनकार’ जमानत का आधार नहीं हो सकते: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि लड़की और आरोपी के बीच प्रेम संबंध और शादी से इनकार जैसे आधारों का पॉक्सो के मामले में जमानत के मुद्दे पर कोई असर नहीं पड़े

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि लड़की और आरोपी के बीच प्रेम संबंध (‘Love affair’) और कथित तौर पर शादी से इनकार (denial of marriage) जैसे आधारों का पॉक्सो (POCSO Case) के मामले में जमानत के मुद्दे पर कोई असर नहीं पड़ेगा. जस्‍ट‍िस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम 2012 और आईपीसी के तहत दर्ज मामले में एक आरोपी को जमानत देने के झारखंड हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द कर दिया. पीठ ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा, अभियोजन पक्ष की उम्र और अपराध की प्रकृति एवं गंभीरता को देखते हुए जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता. शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया कि आरोपी को तुरंत आत्मसमर्पण करना चाहिए.

पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया अदालत के समक्ष सामग्री से प्रतीत होता है कि जब कथित अपराध हुआ था तो अपीलकर्ता की उम्र बमुश्किल तेरह वर्ष की थी. इसने कहा कि इन दोनों आधारों का जमानत देने पर कोई असर नहीं पड़ेगा कि अपीलकर्ता (लड़की) और प्रतिवादी (आरोपी) के बीच ‘प्रेम संबंध’थे और साथ ही कथित तौर पर शादी से इनकार करने वाली परिस्थितियां थीं. 

लड़की की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर और अधिवक्ता फौजिया शकील ने कहा कि पीड़िता की जन्म तिथि एक जनवरी 2005 है और अपराध के समय उसकी उम्र केवल तेरह वर्ष थी. आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता राजेश रंजन की इस दलील पर कि उनका मुवक्किल एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र है और उसे पूरे मुकदमे के दौरान जमानत नहीं मिलेगी, पीठ ने कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से छह महीने के भीतर मुकदमा पूरा करेंगे

शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया कि 27 जनवरी, 2021 को रांची जिले के कांके थाने में आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराधों के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. प्राथमिकी में याचिकाकर्ता लड़की ने आरोप लगाया था कि जब वह नाबालिग थी तो आरोपी उसे एक आवासीय होटल में ले गया था और उसने शादी करने का आश्वासन देकर उसके साथ यौन संबंध बनाए थे. उसने आरोप लगाया था कि आरोपी उससे शादी करने से इनकार कर रहा है और उसने उसके पिता को कुछ अश्लील वीडियो भेजे हैं.

शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया कि आरोपी के अग्रिम जमानत आवेदन को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो, रांची ने 18 फरवरी, 2021 को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उसने तीन अप्रैल, 2021 को आत्मसमर्पण कर दिया था और जमानत मांगी थी. पुलिस ने 24 मई, 2021 को विशेष न्यायाधीश के समक्ष आरोपपत्र दायर किया था और झारखंड हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने आरोपी की जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया था.

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