Russia Ukraine Crisis हरियाणा के विद्यार्थियोंं के यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने का खासा रुझान रहा है। इसका बड़ा कारण यूक्रेन में ये विद्यार्थी कम खर्च में मेडिकल की पढ़ाई कर पाते हैं। हरियाणवी वहां 25 लाख रुपये में डाक्टर बन जाते हैं।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। Russia Ukraine Crisis: हरियाणा के विद्यार्थियों के यूक्रेन के प्रति रुझान को लेकर बड़ा तथ्य सामने आया है। इसका बड़ा कारण यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई का खर्च कम होना है। यूक्रेन में फंसे हरियाणा के अधिकतर युवा ऐसे हैं, जो वहां मेडिकल की पढ़ाई करने गए थे। हरियाणा हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश की अपेक्षा यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई काफी सस्ती है। यूक्रेन में मात्र 25 लाख रुपये में मेडिकल की पढ़ाई हो जाती है। उत्तर प्रदेश और दिल्ली में जहां एक से सवा करोड़ में मेडिकल की पढ़ाई होती है, वहीं हरियाणा के सरकारी मेडिकल कालेजों में 40 से 50 लाख रुपये में पढ़ाई पूरी हो पाती है। प्राइवेट सेक्टर के मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई 80 लाख से सवा करोड़ रुपये में होती है।
हरियाणा के करीब दो हजार लोग यूक्रेन में फंसे, इनमें मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्र ज्यादा
रुस द्वारा यूक्रेन पर किए गए इस हमले को यदि अपवाद मान लिया जाए तो भारतीय छात्र यूक्रेन में खुद को काफी सुरक्षित मानते थे। उनकी पढ़ाई पर पैसा भी कम लगता था और सोशल सिक्योरिटी भी अच्छी थी। इसलिए राज्य के करीब दो हजार युवा यूक्रेन में गए हुए हैं। इनमें अधिकतर मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं तो कुछ पढ़ाई पूरी करने के बाद वहीं प्रैक्टिस करने लगे हैं।
हरियाणा सरकार इन युवाओं की वापसी के लिए काफी गंभीर है। यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए ‘आपरेशन गंगा’ के तहत अब तक 1156 नागरिकों को स्वदेश लाया गया है। इनमें 91 छात्र हरियाणा के हैं, जो अपनी सकुशल वापसी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रति कृतज्ञता जाहिर कर रहे हैं।
हरियाणा सरकार ने पिछले साल ही सरकारी मेडिकल कालेजों में फीस की राशि में बदलाव किया है। सरकारी मेडिकल कालेज से एमबीबीएस करने वाले स्टूडेंट को पहले सालाना 53 हजार रुपये फीस देनी होती थी। हास्टल फीस अलग होती थी। अब हरियाणा सरकार ने नोटिस दिया है कि मेडिकल कालेजों की वार्षिक फीस 53 हजार से बढ़ाकर 80 हजार और एक लाख रुपये तक की जाएगी। इसके अलावा, स्टूडेंट्स को सालाना करीब 10 लाख रुपये का बांड भरना होगा। यह बांड हर साल जमा कराना होगा।
चार साल का कोर्स पूरा होने के बाद तकरीबन 40 लाख रुपये का यह बांड नौकरी लगने पर चुकाना होगा। अगर विद्याार्थी की हरियाणा में सरकारी नौकरी लगती है तो सरकार सात साल की किस्तों में पैसा चुकाएगी। अगर नौकरी नहीं लगती या प्राइवेट नौकरी लगती है या फिर स्टूडेंट निजी प्रैक्टिस करते हैं, तो पैसे उनको खुद भरने होंगे।
हरियाणा सरकार की ओर से जो आर्डर निकाला गया था, उसके मुताबिक़ चार साल की फीस करीब 3.71 लाख रुपये होगी। इसमें बांड के लिए 36 लाख 28 हजार रुपए चुकाने होंगे। हर साल फीस में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रविधान भी किया गया है। छात्रों के लिए दो विकल्प होंगे। बांड भरने के लिए वह या तो सरकारी बैंक से लोन लें या फिर पूरे पैसे अपनी जेब से दें। जो लोन दिया जाएगा, वह एजुकेशन लोन की तरह ट्रीट होगा।
हरियाणा सरकार ने क्रेडिट गारंटी स्कीम शुरू करने का भी संकेत दिया है, जो लोन लेने वाले छात्रों के लिए सहायक साबित होगी। प्रदेश सरकार का मानना है कि हम चाहते हैं कि हमारे कालेजों में पढ़ने वाले छात्र अपने राज्य में ही सरकारी संस्थानों में नौकरी करें। अन्यथा बहुत सारे डाक्टर पढ़ाई यहां करते हैं। उन पर करोड़ों का खर्च आता है। उसके बाद वह प्राइवेट सर्विस करते हैं। उनको बंधन में रखने के लिए बांड भरवाने की मामूली राशि निर्धारित की गई है।
मुख्यमंत्री ले रहे पल-पल की जानकारी
हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल के अनुसार आपरेशन गंगा के तहत अब तक प्रदेश के 91 छात्र सकुशल देश लौट चुके हैं। इस मुश्किल समय में केंद्र सरकार के साथ-साथ हरियाणा सरकार ने उन्हें हर प्रकार की मदद पहुंचाई है। यूक्रेन में फंसे अन्य छात्रों को भी वहां से निकाला जा रहा है। सोमवार को भी बुडापेस्ट (हंगरी) से छठी फ्लाइट ने ‘आपरेशन गंगा’ के तहत उड़ान भरी है, जिसमें 240 भारतीय नागरिकों को दिल्ली वापस लाया जा रहा है। इस छठी फ्लाइट के दिल्ली पहुंचते ही भारत आने वाले लोगों की संख्या 1396 हो जाएगी। हरियाणा में विदेश सहयोग विभाग के माध्यम से स्थापित किए गए इस हेल्प डेस्क में अब तक 400 से ज्यादा फोन काल, 800 से 900 वाट्सएप मैसेज और 800 ई-मेल आ चुके हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खुद भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।
अधिक से अधिक मे़डिकल कालेज खोलेगी सरकार
” प्रधानमंत्री स्वयं यह अपील कर चुके हैं कि प्राइवेट कालेजों को मेडिकल की पढ़ाई की फीस कम करनी चाहिए, ताकि भारत के बच्चों को बाहर न जाना पड़े। हरियाणा में भी 12 से अधिक मेडिकल कालेज बनवाए जा रहे हैं। सरकार कोशिश करेगी कि और सरकारी मेडिकल कालेज खोले जाएं। हमारी योजना हर जिले में कम से कम एक मेडिकल कालेज खोलने की है।