Old Pension Scheme: देश में लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम की मांग हो रही है. राजस्थान, झारखंड के बाद अब हिमाचल प्रदेश सरकार भी इसे बहाल करने की तैयारी में है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर पुरानी पेंशन लागू होने से क्या फायदा होगा? आइए बताते हैं.
ये भी पढ़ें : IRCTC News: अब रेलवे टिकट काउंटर पर खुल्ले पैसे का झंझट नहीं, पेटीएम से भुगतान कर खरीदें जनरल और प्लेटफॉर्म टिकट
नई दिल्ली: देश में इन दिनों पुरानी पेंशन बहाली को लेकर चर्चा जोरों पर है. हाल ही में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पुरानी पेंशन बहाल करने का प्लान बनाया है. इसके लिए उन्होंने मुख्य सचिव राम सुबाग सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने का भी फैसला लिया. इससे पहले राजस्थान और झारखंड सरकार ने पुराने पेंशन योजना को बहाल करने की घोषणा की है. यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भी इसे अपने घोषणा पत्र में जोड़ा. लेकिन कभी आपने सोचा है कि आखिर पुरानी पेंशन लागू होने से क्या फायदा होगा और इसके लिए कर्मचारी लंबे समय से क्यों मांग कर रहे हैं? आइए बताते हैं.
1 अप्रैल 2004 से देश में लागू है नई पेंशन स्कीम
आपको बता दें कि देश में 1 अप्रैल 2004 से तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने डिफेंस सर्विसेज को छोड़कर बाकी सरकारी सेवाओं में नई पेंशन स्कीम लागू कर दी थी. देश में नई राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension System -NPS) लागू की गई. केंद्र सरकार ने इसे राज्यों के लिए अनिवार्य नहीं किया था लेकिन धीरे-धीरे ज्यादातर राज्यों ने अपने यहां भी नई पेंशन स्कीम लागू कर ली थी.
पुरानी और नई पेंशन स्कीम में फर्क
पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी. वहीं, नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है. साथ ही इसमें 14 फीसदी हिस्सा सरकार मिलाती है. पुरानी पेंशन योजना में रिटायर्ड कर्मचारियों को सरकारी कोष से पेंशन का भुगतान किया जाता था. वहीं, नई पेंशन योजना शेयर बाजार आधारित है और इसका भुगतान बाजार पर निर्भर करता है. पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में जीपीएफ की सुविधा नहीं है. पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी. जबकि नई पेंशन स्कीम में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है.