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RUBLE Vs RUPEE: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच कैसे कमजोर हुई रूसी मुद्रा, जानिए- रूस की अर्थव्यवस्था पर इसका क्या होगा असर?

RUBLE Vs RUPEE: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच जारी युद्ध का असर रूस की करेंसी पर भी देखा जा रहा है. आज एक रुपये के मुकाबले रूसी मुद्रा की कीमत महज 69 पैसे है. इससे रूस का आयात भी महंगा होगा और तमाम वैश्विक कारोबार पर इसका असर होगा.

RUBLE Vs RUPEE: यूक्रेन और रूस के बीच तनाव (RUSSIA-UKRAINE TENSION) हर गुजरते दिन के साथ बढ़ता ही जा रहा है, जिसका दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ रहा है. नौ दिन पहले पहले रूसी सेना ने यूक्रेनी सीमा पार की, पश्चिम ने देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाकर जवाबी कार्रवाई करने का फैसला किया.

जिसके बाद यूरोपीय संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम ने रूस पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाने का फैसला किया, इसके राजनेताओं, बैंकों और व्यापार को टारगेट किया. इसका देश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. 

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रूसी अर्थव्यवस्था पर युद्ध के प्रभाव से रूसी मुद्रा, जो कि रूबल है, उसमें भारी गिरावट आई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी डॉलर और भारतीय रुपये के मुकाबले रूसी रूबल पिछले हफ्ते के मुकाबले करीब 30 फीसदी से ज्यादा कमजोर हुआ है.

देश पर लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों में इसके व्यापार में एक बड़ी बाधा और स्विफ्ट अंतरराष्ट्रीय भुगतान प्रणाली से कुछ रूसी बैंकों को काटना शामिल है. रूस को अपने विशाल विदेशी देश के भंडार का उपयोग करने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है.

आधिकारिक विनिमय दरों के अनुसार, एक रूसी रूबल वर्तमान में 0.70 भारतीय रुपये या 70 पैसे के बराबर है. 2 मार्च को, रूबल की कीमत 0.84 पैसे थी, लेकिन 24 घंटों की अवधि में भारी गिरावट देखी गई. यूक्रेन संकट से पहले, रूसी रूबल और भारतीय रुपये का मूल्य समान था.

इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले में भी रूबल में तेजी से गिरावट आई है. ताजा विनिमय दरों के अनुसार, एक रूसी रूबल 0.0088 अमेरिकी डॉलर के बराबर है, जो इसकी अर्थव्यवस्था को कठोर रूप से प्रभावित करते हुए, देश में एक प्रतिशत से भी कम मूल्य का है.

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रूबल के मूल्य में गिरावट से रूस में भारी मुद्रास्फीति हो सकती है, जिससे रूसी वित्तीय प्रणाली में तनाव पैदा हो सकता है और शेयर बाजार पर भारी प्रभाव पड़ सकता है. महंगाई का मतलब यह भी होगा कि आम आदमी के बजट को बढ़ाते हुए दैनिक जरूरत की चीजें कीमतों में बढ़ जाएंगी.

इसका मतलब यह भी हो सकता है कि देश में आयात और निर्यात में बाधा आ सकती है, जिससे आपूर्ति-श्रृंखला की समस्या हो सकती है. आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, विदेश यात्रा काफी महंगी हो सकती है और औसत रूसी के लिए जीवन की गुणवत्ता गिर जाएगी.

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