झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं होने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने 25 मार्च को कार्मिक सचिव, स्वास्थ्य सचिव, जेपीएससी, जेएसएससी के अधिकारी और रिम्स निदेशक को सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने 25 मार्च को कार्मिक सचिव को कहा है कि वह अदालत में खुद बताएं कि रिम्स के चतुर्थवर्गीय पदों पर स्थायी नियुक्ति क्यों नहीं हो रही है। शिक्षकों की बहाली भी नहीं हो रही है। इससे मेडिकल की पढ़ाई भी बाधित हो रही है।
अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में सभी तरह की बुनियादी सुविधाएं गरीब तबकों को सुलभ कराने का आदेश दिया है। रिम्स एक स्वायतशासी निकाय है, तो वह क्यों नहीं इन नियुक्तियों पर खुद किसी तरह का नीतिगत फैसला ले रहा है। वह सरकार पर इतना निर्भर क्यों है। क्यों नहीं रोस्टर के आधार पर कांट्रैक्ट पर काम कर रहे चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नौकरी स्थायी की जा रही है। कोर्ट ने कहा कि सरकार द्वारा बार-बार इस मसले पर संतोषजनक उत्तर नहीं दिया जा रहा है।
इधर, रिम्स की ओर से कोर्ट को बताया गया कि नर्सों की नियुक्ति के लिए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को भेजा गया था। लेकिन उनकी ओर से अधियाचना वापस कर दी गई। जेएसएससी का कहना है कि रिम्स पहले इसे सरकार को भेजे, इसके बाद सरकार नियुक्ति के लिए आयोग को अधियाचना भेजेगी। अदालत जानना चाह रही है कि आखिर रिम्स नियुक्ति के लिए सीधे अधियाचना जेएसएससी को भेज सकती है या नहीं।
इसी मसले पर अदालत ने स्वास्थ्य सचिव, कार्मिक सचिव, जेएसएससी चेयरमैन या सचिव और रिम्स के निदेशक को अदालत में उपस्थित रहने का आदेश दिया है।