एक संसदीय पैनल ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत ऋण चुकौती अवधि को 7-8 साल तक बढ़ाया जाना चाहिए। पैनल ने कहा कि MSMEs के लिए 3 से 4 सालों की चुकौती अवधि काफी कम है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। एक संसदीय पैनल ने सोमवार को सुझाव दिया कि सरकार को एमएसएमई क्षेत्र के लिए आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत ऋण चुकौती अवधि बढ़ानी चाहिए। उद्योग पर संसदीय स्थायी समिति ने भी सरकार से जीएसटी प्रणाली को डिजिटल बनाने के लिए कहा है ताकि दावों का पेपरलेस रिफंड सुनिश्चित किया जा सके।
चुकौती अवधि 7-8 साल तक बढ़े
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समिति ने कहा कि ECLGS के तहत मोरेटोरियम अवधि सहित 3 से 4 सालों की चुकौती अवधि MSMEs के लिए “बहुत कम” है। MSMEs दूसरी कोरोना लहर के बाद से संघर्ष कर रहे हैं। “इसलिए, समिति सिफारिश करती है कि मूल राशि पर कम से कम दो साल की मोहलत के साथ चुकौती अवधि को 7-8 साल तक बढ़ाया जाना चाहिए।”
समिति ने कहा, “ब्याज के संबंध में, आरबीआई द्वारा 1 मार्च, 2020 से ब्याज के लिए मोरेटोरियम की घोषणा की जानी चाहिए।” यह देखते हुए कि वर्तमान में आयात किए जा रहे कई एमएसएमई-उन्मुख उत्पादों का निर्माण भारत में किया जा सकता है, पैनल ने सुझाव दिया कि देश में आयात से संबंधित उत्पादों और पार्ट्स के लिए एक सेंट्रल मार्केट इंटेलिजेंस सेंटर स्थापित किया जाए।
इसके अलावा समिति ने कहा कि सेंटर को उन उत्पादों की सूची तैयार करने का काम सौंपा जा सकता है, जिन्हें उनके विनिर्देशों के साथ आयात किया जा रहा है। इसे एमएसएमई क्षेत्र में नए विनिर्माण उद्यम स्थापित करने के लिए इच्छुक उद्यमियों को आकर्षित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलानी चाहिए।
खादी के लिए नए वैश्विक बाजार
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समिति ने खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा अपनी प्रमुख योजनाओं के लिए धन के कम उपयोग पर भी “गहरी चिंता” व्यक्त की, जिससे खादी और ग्रामोद्योग के प्रचार तथा विकास और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन में बाधा उत्पन्न हुई है। सुझाव दिया गया कि केवीआईसी ने केवीआईसी को नए वैश्विक बाजारों में खादी को लोकप्रिय बनाने का प्रयास करना चाहिए।