BSNL, MTNL Refund: वो वक्त याद कीजिये जब टेलीकॉम कंपनी का मतलब सिर्फ BSNL और MTNL होता था. लेकिन तब से लेकर अब तक गंगा में बहुत पानी बह चुका है. टेलीकॉम सेक्टर में दिग्गज प्राइवेट कंपनियों के आने के बाद ये दोनों कंपनियां आर्थिक तौर पर दिक्कतों का सामना कर रही हैं. हालात ये हैं कि बीएसएनएल और एमटीएनएल के पास रिफंड के लिए पर्याप्त पैसे नहीं है. इस वजह से अब तक 1,460,007 मामले पेंडिंग हैं. संचार राज्यमंत्री देवुसिंह चौहान ने राज्य सभा में यह बयान दिया. लैंडलाइन फोन सरेंडर करने पर कंपनियों को दो महीने में रिफंड देना होता है.
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नारनभाई जे राठवा ने पूछा सवाल
दरअसल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद नारनभाई जे राठवा ने संसद में इसे लेकर सवाल पूछा था. उन्होंने पूछा कि, क्या यह सही है कि ये कंपनियां बड़ी संख्या में रिफंड नहीं कर पा रही हैं. 31 जनवरी, 2022 तक का इसका आंकड़ा भी सरकार से मांगा. वहीं नारनभाई जे राठवा ने ये भी पूछा कि जल्द पैसे वापस करने को लेकर क्या कदम उठाए गए हैं.
दोनों कंपनियों में 1,460,007 मामले लंबित
संचार राज्यमंत्री देवुसिंह चौहान ने राज्यसभा में इसका लिखित जवाब दिया. उन्होंने बताया कि, 31 जनवरी, 2022 तक बीएसएनएल के सामने 13,15,806 मामले पेंडिंग हैं, वहीं एमटीएनएल को 1,44,201 मामलों में रिफंड देना है. बीएसएनएल में अधिकतम साल 2019 और एमटीएनएल में 2020 तक के मामले लंबित हैं. इसकी वजह कस्टमर्स के अपडेटेड बैंक अकाउंट की जानकारी न होना और अस्थाई तौर पर फंड की कमी है.
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टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की गाइडलाइन के मुताबिक फोन की सर्विस बंद कराने और Disconnection के 60 दिनों के अंदर पैसे वापस करने होते हैं. वहीं ये दोनों कंपनियों ग्राहकों से लगातार संपर्क कर रही हैं, जिससे अपडेटेड जानकारी की साथ पैसे वापस किए जा सकें.