झारखंड में पांच अप्रैल से स्कूल चले चलाएं अभियान चलेगा। यह अभियान चार मई तक चलेगा। इसमें प्राथमिक स्कूलों के बच्चों का शत प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित किया जाएगा। कोरोना की वजह से दो साल बाद बच्चे स्कूल जा पा रहे हैं। ऐसे में उनके लर्निंग लॉस को कम करने के लिए समुदाय को भी संवेदनशील बनाएंगे। बच्चों के माता-पिता, अभिभावक, शिक्षक और विद्यालय प्रबंध समिति के आपसी समन्वय से इसे पूरा किया जाएगा। इसके लिए झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी ने सभी जिलों को निर्देश दे दिया है।
किरण कुमारी पासी ने सभी आरजेडीई, डीईओ और डीएसई को निर्देश दिया है कि जिला स्तर पर जनप्रतिनिधि, सभी विभागों के जिला स्तरीय पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी और प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, बीआरपी-सीआरपी, गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि ई विद्यावाहिनी के माध्यम से बच्चों के नामांकन और उनकी उपस्थिति की समीक्षा करेंगे। जिला स्तर पर प्राथमिक विद्यालयों का मध्य विद्यालयों, मध्य विद्यालयों का उच्च विद्यालयों के साथ मैपिंग करने की कार्रवाई की जाए, ताकि पांचवीं के बच्चों का छठी में, आठवीं के बच्चों का नौवीं में और 10वीं के बच्चों को 11वीं में छीजन न हो।
आंगनबाड़ी व स्कूलों के बीच बनाया जाएगा समन्वय
आउट ऑफ स्कूल के बच्चों, अप्रवासी परिवार के बच्चों, विशेष आवश्यकता वाले बच्चे, कोरोना प्रभावित बच्चों को डहर एप के माध्यम से चिह्नित कर उनका नामांकन सुनिश्चित कराने की कार्रवाई करेंगे। आंगनबाड़ी केंद्रों और नजदीक के स्कूलों के बीच विभागीय समन्वय स्थापित करने की पहल की जाए। निजी विद्यालयों के प्रारंभिक कक्षाओं में भी जरूरतमंद बच्चों का शत प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित की जाए। सभी स्कूलों का आवश्यकतानुसार रंग-रोगन, क्लास रूम की मरम्मत, शौचालय और पेयजल का समुचित व्यवस्था की जाएगी। प्रखंड स्तर पर भी यह काम किए जाएंगे। इसके अलावा जिला स्तर पर एक कोषांग का गठन किया जाए और हर दिन बच्चों की उपस्थिति व उनकी गतिविधि की रिपोर्ट तैयार की जाए। डहर ऐप के माध्यम से चिन्हित कर नामांकन सुनिश्चित कराने की कार्रवाई की योजना और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के नामांकन और उनकी उपस्थिति की स्थिति बतानी होगी।