All for Joomla All for Webmasters
समाचार

राज्य में जनसंख्या के आधार पर अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग पर सुनवाई 10 मई को, केंद्र के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने टाली सुनवाई

supreme-Court

कोर्ट ने केंद्र सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर सुनवाई 6 सप्ताह टाल दी है. याचिका में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भंग किया करने की मांग की गई है.

हर राज्य में आबादी के हिसाब से अल्पसंख्यकों के निर्धारण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट 10 मई को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने केंद्र सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता के अनुरोध पर सुनवाई 6 सप्ताह टाल दी है. याचिका में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भंग किया करने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया है कि कोर्ट अल्पसंख्यक की परिभाषा तय करने और इसे राज्यवार लागू करने का आदेश दे.

क्या है याचिका?

बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने 1992 के नेशनल माइनॉरिटी कमीशन एक्ट और 2004 के नेशनल माइनोरिटी कमीशन एजुकेशन इंस्टिट्यूशन एक्ट को चुनौती दी है. उनका कहना है कि 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं. लद्दाख में हिंदू आबादी 1 प्रतिशत है। मिज़ोरम में 2.75 प्रतिशत, लक्षद्वीप में 2.77 प्रतिशत, कश्मीर में 4 प्रतिशत, नागालैंड में 8.74 प्रतिशत, मेघालय में 11.52 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश में 29.24 प्रतिशत, पंजाब में 38.49 और मणिपुर में 41.29 प्रतिशत हिंदू आबादी है, लेकिन फिर भी सरकारी योजनाओं को लागू करते समय उन्हें अल्पसंख्यकों के लिए तय कोई लाभ नहीं मिलता.

याचिका में 2002 के टीएमए पई बनाम कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया गया है. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी इलाके में जो लोग संख्या में कम हैं उन्हें संविधान के अनुच्छेद 30 (1) के तहत अपने धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए स्कूल, कॉलेज खोलने का हक है। उपाध्याय का कहना है कि जिस तरह पूरे देश में अल्पसंख्यक चर्च संचालित स्कूल या मदरसा खोलते हैं, वैसी इजाज़त हिंदुओं को भी 9 राज्यों में मिलनी चाहिए. इन स्कूलों को विशेष सरकारी संरक्षण मिलना चाहिए.

केंद्र का जवाब

कल केंद्र सरकार ने मामले पर जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन पूरी तरह संवैधानिक है. अल्पसंख्यक कल्याण संविधान की समवर्ती सूची का विषय है. इस पर राज्य भी कानून बना सकते हैं. राज्य अपने यहां किसी समुदाय या भाषा को अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकते हैं. केंद्र ने कोर्ट से याचिका को खारिज करने की मांग की थी.

आज क्या हुआ?

आज केंद्र सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस संजय किशन कौल और एम एम सुंदरेश की बेंच से कहा कि जवाब कल ही दाखिल हुआ है. इसे पढ़ जिरह के लिए उन्हें समय चाहिए. जजों ने इस पर चुटकी लेते हुए कहा, “हलफनामा सभी अखबारों में छपा है, लेकिन सॉलिसीटर जनरल उसे पढ़ नहीं पाए हैं.”

इस बीच याचिकाकर्ता के लिए पेश वरिष्ठ वकीलों विकास सिंह और सी एस वैद्यनाथन ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इस मामले पर विस्तृत सुनवाई करे. कोर्ट ने सभी पक्षों के अनुरोध को स्वीकार करते हुए केंद्र से कहा कि वह मामले में कुछ और याचिकाकर्ताओं की तरफ से दाखिल अर्ज़ियों पर भी जवाब दाखिल करे. कोर्ट ने केंद्र को इसके लिए 4 हफ्ते का समय दिया. साथ ही याचिकाकर्ताओं को केंद्र के जवाब पर प्रत्युत्तर के लिए 2 हफ्ते का समय दिया.

Source :
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top