इंप्लॉई प्रोविडेंट फंड के नियम में 1 अप्रैल से बदलाव होने जा रहा है। पीएफ में एक सीमा से ज्यादा कंट्रिब्यूशन पर टैक्स लगेगा। नए नियम के तहत अगर एक फाइनेंशियल ईयर में पीएफ में कुल कंट्रिब्यूशन 2.50 लाख रुपये से ज्यादा रहता है तो उस पर टैक्स लगेगा। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है नया नियम?
ईपीएफ के नए नियम के मुताबिक, अगर कर्मचारी का एक फाइनेंशियल ईयर में पीएफ में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा जमा होता है तो उस पर टैक्स लगेगा। ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह नियम सिर्फ पीएफ में जमा होने वाले कर्मचारी के अकाउंट के लिए है। आपके पीएफ में कंपनी की तरफ से जमा किए जाने वाले अमाउंट पर यह नियम लागू नहीं होगा।
किस पर पड़ेगा असर?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि नए नियम का असर ईपीएफ के ज्यादातर मेंबर्स पर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि यह नियम सालाना 20.83 लाख या या इससे ज्यादा इनकम वाले लोगों पर ही लागू होगा। ईपीएफ के करीब 6 करोड़ सब्सक्राइबर हैं। इनमें से ज्यादातर की सैलरी इस सीमा से कम है। सरकारी कर्मचारियों के मामले में पीएफ में सालाना 5 लाख रुपये के कंट्रिब्यूशन पर टैक्स लगेगा।
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कैसे होगा कैलकुलेशन?
इसे हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं। अगर प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले किसी व्यक्ति का पीएफ में एक वित्त वर्ष में 5 लाख रुपये का कंट्रिब्यूशन होता है तो इसमें से 2.5 लाख रुपये की रकम पर ही टैक्स लगेगा। बाकी 2.5 लाख रुपये टैक्स के दायरे में नहीं आएगा।
कितना पैसा पीएफ में जमा होता है?
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ईपीएफ में कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12 फीसदी जमा होता है। कर्मचारी के अकाउंट से जितना पैसा पीएफ में जाता है, उतना ही पैसा कंपनी (Employer) उसके पीएफ खाते में जमा करती है। हर साल सरकार ईपीएफ में जमा रकम पर इंट्रेस्ट रेट तय करती है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सरकार ने 8.1 फीसदी इंट्रेस्ट रेट तय किया है।
कितना है ईपीएफ में इंट्रेस्ट रेट?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के लिए तय 8.1 फीसदी का इंट्रेस्ट रेट 40 साल में सबसे कम है। फिर भी ईपीएफ सेविंग्स की पीपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम जैसी दूसरी स्कीमों के मुकाबले बेहतर है। दूसरे सभी स्कीमों का इंट्रेस्ट रेट इससे भी कम है।