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झारखण्ड

बेगुनाह को फर्जी केस में फंसाने वाले छह सिपाही सेवा से बर्खास्त… हाई कोर्ट ने कहा- सरकार का आदेश सही

Jharkhand High Court झारखंड हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि छह सिपाहियों को सेवा बर्खास्त करने का सरकार का आदेश सही है। इन सिपाहियों पर बेगुनाह को फर्जी केस में फंसाने का संगीन आरोप लगा है।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand High Court झारखंड हाई कोर्ट ने हजारीबाग के बरही थाने में पदस्थापित छह सिपाहियों को सेवा से बर्खास्त करने के सरकार के आदेश को सही माना है। अदालत ने एकलपीठ के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें अदालत ने सरकार को इनकी बर्खास्तगी पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया था। जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत में ने कहा कि राज्य सरकार का फैसला बिल्कुल सही है। इसमें किसी प्रकार की हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।

सभी सिपाहियों को तीन बेगुनाह को फर्जी केस में फंसाने के मामले में सरकार ने वर्ष 2012 में बर्खास्त कर दिया था। इस मामले में सरकार की ओर से एकल पीठ के आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपील दाखिल की गई थी। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि वर्ष 2007 में लल्लू कुमार, चंदन ठाकुर और बिट्टू कुमार बोलेरो से जा रहे थे, तभी बरही थाने में कुछ पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद साजिश के तहत लल्लू के भाई से अपहरण की बात कहते हुए रंगदारी की मांग की।

रंगदारी नहीं मिलने पर तीनों के खिलाफ पुलिस ने फर्जी केस (158/2007) दर्ज कर लिया। इसके बाद लल्लू के भाई ने सरकार से पूरे मामले की जांच की मांग की। सरकार ने इसकी जांच सीआइडी को सौंप दी। सीआइडी जांच में फर्जी केस में फंसाने का मामला सही पाया गया। इसके बाद इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।

विभागीय कार्रवाई के बाद छह पुलिस कर्मी हरीशचंद्र पाल भगत, मो शमशेद खान, कौशल कुमार सिंह, रुपेश कुमार, शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, और अजय कुमार चौरसिया को वर्ष 2012 में सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद इन लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। जुलाई 2017 में एकल पीठ ने इनकी सजा पर पुनर्विचार करने के लिए मामला सरकार के पास भेज दिया। इसके खिलाफ सरकार ने खंडपीठ में अपील दाखिल की थी।

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