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पोंजी स्कीम मामले में ED का एक्शन, पत्रकार की 5 करोड़ की संपत्ति अटैच

ED ने पत्रकार सुमन चट्टोपाध्याय और उनके परिवार की 5 करोड़ की संपति अटैच की है. ED ने ये कार्रवाई ICORE ग्रुप की करोड़ों रुपये की पोंजी स्कीम मामले में की है. 

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई करते हुए पश्चिम बंगाल के पत्रकार सुमन चट्टोपाध्याय (Suman chattopadhyay) और उनके परिवार की 5 करोड़ की संपति अटैच की है. ED ने ये कार्रवाई ICORE ग्रुप की करोड़ों रुपये की पोंजी स्कीम मामले में की है. इस मामले में कारवाई करते हुए सुमन चट्टोपाध्याय और परिवार के नाम बैंक खाते और कोलकाता के आसपास ड्यूपलैक्स फ्लैट को अटैच किया है.

अखबार शुरू करने के लिए जुटाई रकम

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CBI ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर साल 2014 में ICORE पोंजी स्कीम की जांच शुरू की थी जिसके बाद ED ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज अपनी जांच शुरू की. सुमन चट्टोपाध्याय आनंद बाजार पत्रिका (ABP) के संपादक थे, लेकिन बाद में ‘एक दिन’ नाम से अपना अखबार शुरू किया जिसके लिए पैसों की जरूरत थी. सुमन ने 9.83 करोड़ रुपये ICORE से खुद और अपनी कंपनी M/s Disha Productions & Media Pvt Ltd के नाम से लिए, जो ICORE ने लाखों लोगों से धोखाधड़ी करके लिए हुए थे. जांच में ये भी पता चला कि सुमन ने शारदा चिट फंड मामले के आरोपियों से भी पैसे लिए जिसकी जांच भी CBI और ED कर रही है.

ऐसे शुरू हुई मामले की जांच

ICORE पर आरोप है कि इस ग्रुप ने लाखों लोगों के साथ निवेश करने पर अच्छे मुनाफे के नाम पर 3000 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी की है. इस मामले की जांच की शुरुआत तब हुई, जब एक निवेशक ने भुवनेश्वर पुलिस को शिकायत दी कि उसके निवेश किए पैसों को ICORE ग्रुप वापिस नहीं कर रहा है और इसी के बाद पता चला कि कैसे इस ग्रुप ने लाखों लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की है. 

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ममता सरकार के मंत्री भी लिप्त

इस मामले में CBI ने अपनी जांच शुरू की तो पता चला कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार के मंत्री भी आरोपी है और पार्था चटर्जी को पूछताछ के लिए बुलाया भी गया था.

CBI ने लिया एक्शन

इस मामले में CBI ने ICORE के डायरेक्टर अनुकुल मैती और पत्नी कनिका को साल 2017 में गिरफ्तार किया था. लेकिन बाद में मुख्य आरोपी अनुकुल की मौत हो गई थी. इसी मामले में CBI ने सुमन चट्टोपाध्याय को भी साल 2018 में गिरफ्तार किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2020 में जमानत दी.

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