कांग्रेस ने 2023 के चुनाव में अपनी नैया पार लगाने के लिए कमलनाथ को चुना है. वहीं राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा कि कमलनाथ संन्यास लेने की उम्र में सेहरा बांध रहे हैं.
जबलपुर: मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Election) के नगाड़े बजने में अभी भले ही थोड़ा वक्त है लेकिन कांग्रेस (Congress) ने अपनी टीम का सेनापति तय कर दिया है.राज्य के दिग्गज कांग्रेस नेताओं ने भोपाल (Bhopal) में एक बैठक करके 2023 के विधानसभा चुनाव को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamalnath) के नेतृत्व में लड़ने का ऐलान कर दिया है.हालांकि अभी बीजेपी की तरफ से कमलनाथ से लोहा कौन लेगा,इसका औपचारिक ऐलान नहीं किया गया है लेकिन फिलहाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौथी पारी खेलने के लिए ताबड़तोड़ घोषणाएं करने में जुटे है.
कमलनाथ को 2023 का सेनापति चुनने पर नरोत्तम मिश्रा ने ली चुटकी
वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस द्वारा कमलनाथ को 2023 की चुनावी नैया का खेवैया चुने जाने पर बीजेपी ने चुटकी ली है.राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट करते हुए कहा कि सन्यास की उम्र में कमलनाथ सेहरा बांध रहे है.
मिश्रा ने अपने ट्वीट में लिखा है, “ “2023 का मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव कमलनाथ जी के नेतृत्व में लड़ने का फैसला कर कांग्रेस ने संन्यास की उम्र में सेहरा बांधा है.चुनाव के वक्त @OfficeOfKNath जी की उम्र 77 वर्ष की होगी, इससे समझ में आ रहा है कि भविष्य में किसके नेतृत्व में सड़क पर लड़ने का संकल्प लिया जा रहा है.”
कांग्रेस विधायक तरुण भनोट ने किया पलटवार
वहीं कांग्रेस विधायक और पूर्व वित्तमंत्री तरुण भनोट ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी को इस तरह के फिजूल बयान देने की बजाय आत्मवालोकन करना चाहिए.2018 में जनता ने कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस पर भरोसा जताया था और अभी भी जनता कांग्रेस के साथ है.लोकतंत्र में धोखे देकर बनी बीजेपी की सरकार और नरोत्तम मिश्रा 2023 में अपने सन्यास की तैयारी करें.
2018 में कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल हुआ था हिट
वैसे 2018 में कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल खूब हिट हुआ था.कांग्रेस ने 114 सीट जीतकर सरकार बनाई थी जबकि 109 सीट के साथ बीजेपी 15 साल बाद मध्यप्रदेश की सत्ता से बाहर हो गई थी.हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद कांग्रेस में टूट पड़ गई और सत्ता फिर बीजेपी के हाथ आ गई.
कमलनाथ के विकास मॉडल से युवा प्रभावित
वहींकहा जा रहा है कि कमलनाथ के विकास मॉडल से युवा प्रभावित हैं. सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में प्रदेश के मूल निवासियों को रोजगार देने में प्राथमिकता देने की बात ने बेरोजगार युवाओं को आकर्षित किया था.इसके साथ ही किसान कर्जमाफी ने भी कांग्रेस को बढ़त दिलाई थी.कमलनाथ का नाम आते ही छिंदवाड़ा का विकास मॉडल भी चर्चा में आ जाता है. आदिवासी क्षेत्र के रूप में जाने वाले छिंदवाड़ा में जो भी विकास हुआ, उसका श्रेय कमलनाथ को दिया जाता है. यह देश का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता था.इस शहर ने बताया कि विकास किस तरह किया जाता है.अच्छी सड़कें बनीं.हिंदुस्तान यूनीलिवर, ब्रिटानिया, रेमंड, भंसाली सहित विभिन्न निजी कंपनियों ने जिले में उद्योग लगाए. छिंदवाड़ा एजुकेशन हब के रूप में जाना गया. यहां इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, फुटवेयर डिजाइन सेंटर, नॉलेज सिटी, 6 केंद्रीय विद्यालय, एक नवोदय स्कूल तो हैं ही साथ ही यहां एटीडीसी,सीआईआई और एनआईआईटी जैसे बड़े स्किल सेंटर्स भी हैं.
कमलनाथ सभी समुदायों के लिए सर्वमान्य नेता माने जाते हैं
कमलनाथ सभी समुदायों के लिए सर्वमान्य नेता माने जाते हैं.वे हनुमान भक्त भी हैं. उन्होंने छिंदवाड़ा में 101 फीट की हनुमान जी की मूर्ति लगवाई.उनके माध्यम से हिंदू और मुसलमान वोटर्स को भी साधना आसान है. हाल ही में पार्टी ने रामनवमी और हनुमान जयंती पर अपने पदाधिकारियों, विधायकों एवं कार्यकर्ताओं को रामलीला, सुंदरकांड एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने के निर्देश दिए हैं,इसे चुनावी तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है.