झारखंड में निर्धारित समय से दो साल विलंब से पंचायत चुनाव होनेवाला है। कोविड के कारण पंचायत चुनाव प्रक्रिया ठप थी। अब राज्य सरकार और चुनाव आयोग चुनाव कराने की पूरी तैयारी कर चुका है।
झारखंड में पंचायत चुनाव लड़नेवालों की उत्सुकता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। चुनाव की तारीखों के ऐलान की सबको प्रतीक्षा है। जैसे ही तारीख घोषित होगी, राज्य का ग्रामीण इलाका पंचायत चुनाव को लेकर व्यस्त हो जायेगा। नामांकन, प्रचार अभियान, जनसंपर्क अभियान का सिलसिला शुरू हो जायेगा। झारखंड में निर्धारित समय से दो साल विलंब से पंचायत चुनाव होनेवाला है। कोविड के कारण पंचायत चुनाव प्रक्रिया ठप थी। अब राज्य सरकार और चुनाव आयोग चुनाव कराने की पूरी तैयारी कर चुका है। चुनाव में कई चीजें रोचक होती हैं। इस चुनाव में लाखों मतदाता, हजारों उम्मीदवार और हजारों चुनाव कर्मियों की सहभागिता होती है। लगभग डेढ़ महीने से ज्यादा समय तक पूरी प्रक्रिया चलेगी।
चुनाव लड़नेवाले उम्मीदवार अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं। चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों का सबको अनुपालन करना है। चार पदों के लिए प्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति से बैलेट पेपर में वोट डालकर चुनाव होगा। ग्राम पंचायत क्षेत्र में वार्ड सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति के सदस्य और जिला परिषद के सदस्य के लिए उम्मीदवार चुने जायेंगे। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में जिस तरह उम्मीदवारों के चुनाव खर्च की सीमा निर्धारित रहती है, उसी तरह पंचायत चुनाव में भी उम्मीदवारों की खर्च की सीमा निर्धारित है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग के इन निर्देशों का पालन करते हुए उम्मीदवारों को अपने चुनावी खर्च का हिसाब समय पर देना अनिवार्य होगा।
वार्ड सदस्य पद के उम्मीदवार अधिकतम 14 हजार रुपए तक खर्च कर सकते हैं:
चुनाव आयोग ने निर्धारित किया है कि पूरी चुनावी प्रक्रिया में किस पद का उम्मीदवार कितना अधिकतम खर्च कर सकता है।ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य के लिए एक उम्मीदवार अधिकतम 14 हजार रुपए तक खर्च कर सकता है। एक वार्ड की सीमा बहुत सीमित होती है और इसमें वोटर भी लगभग पांच सौ तक होती है। एक पंचायत कई वार्डों में विभाजित होता है। उसी तरह एक ग्राम पंचायत में मुखिया पद के एक उम्मीदवार को अधिकतम 85 हजार रुपए तक की राशि खर्च करने की सीमा है। खर्च करने के साथ उसे इसका हिसाब भी चुनाव आयोग को देना होगा। इसी तरह पंचायत समिति के सदस्य पद के उम्मीदवार अधिकतम 71 हजार रुपए तक खर्च कर सकता है। जिला परिषद के एक सदस्य को अपने चुनाव में अधिकतम 2 लाख 14 हजार रुपए तक ही खर्च करने की सीमा निर्धारित है। दरअसल जिला परिषद की सीमा बहुत अधिक होती है।
किस रंग का बैलेट पेपर किस पद के लिए
पंचायत चुनाव लड़नेवालों के साथ-साथ वोट डालनेवालों के लिए यह जानना भी कम रोचक नहीं है कि चुनाव में बैलेट पेपर का उपयोग होता है और वह भी अलग-अलग रंग का होता है। पिछले सात साल के अंतराल में पहली बार पंचायत चुनाव लड़नेवाले और वोट देनेवाले नौजवानों को यह जानना जरूरी है। चार पदों के लिए प्रत्यक्ष वोटिंग प्रणाली में चार बैलेट पेपर (मत पत्र) का प्रयुक्त होगा।
● ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य के लिए : सफेद
● मुखिया पद के उम्मीदवार के लिए : गुलाबी
● पंचायत समिति के सदस्य के लिए : हरा
● जिला परिषद के सदस्य के लिए : पीला