सरकार ने 17 फरवरी 2020 को एक संशोधित नियम लागू किया था, जिसमें आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को सामान्य श्रेणी में शामिल करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
Jabalpur News: मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए एमपी-पीएससी 2019 (MP-PSC 2019) की प्रारम्भिक परीक्षा के रिजल्ट निरस्त कर दिए हैं. जबलपुर हाई कोर्ट में एमपी-पीएससी और राज्य सरकार द्वारा परीक्षा परिणाम जारी करने के फैसले को चुनौती दी गई थी. हाई कोर्ट ने 2015 के पुराने नियमों के तहत पुनः रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया है, जिसमें आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान बच्चों को सामान्य श्रेणी में शामिल करने की पात्रता है.
याचिका की दलील को किया स्वीकार
हाई कोर्ट के जस्टिस सुजय पॉल और जस्टिस डी डी बंसल की बेंच में कुछ दिनों पूर्व सुनवाई पूर्ण हो गई थी और कोर्ट ने इस मामले में अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया था. आज दिए अपने फैसले में याचिकाकर्ताओं की इस दलील को स्वीकार कर लिया, जिसमें कहा गया था कि एमपीएससी ने विवादित नियमों के तहत परिणाम जारी किए थे.
सरकार ने 2017 में लागू किया संशोधित नियम
बतादें कि सरकार ने 17 फरवरी 2020 को एक संशोधित नियम लागू किया था, जिसमें आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को सामान्य श्रेणी में शामिल करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इसके बाद दाखिल कई याचिकाओं में आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(4) के संशोधित अधिनियम को चुनौती दी गई थी. हालांकि सरकार ने हाई कोर्ट में जवाब देते हुए विवादित नियमों को वापस लेने की बात कही थी, जिसके बाद हाइकोर्ट ने परीक्षा परिणाम जारी करने की अनुमति दे दी थी. बावजूद इसके 31 दिसंबर 2021 को MP-PSC 2019 प्रारम्भिक परीक्षा के परिणाम विवादित नियमों के तहत कर दिए गए.
याचिका में दी गई ये दलील
याचिकाओं में दलील दी गई कि 31 दिसंबर 2021 को आए 2019 पीएससी मुख्य परीक्षा के परिणामों में उन्हीं विवादित नियमों को लागू कर दिया गया, जबकि सरकार ने उन्हें वापस ले लिया था. अब जब एमपी-पीएससी 2019 के चयनित अभ्यर्थियों के इंटरव्यू कॉल चालू हो गए हैं. उस दरमियान भी सरकार ने किसी भी प्रकार की कार्रवाई इन विवादित नियमों को लेकर नहीं की. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने पैरवी की.