दिल्ली की जहांगीरपुरी इस समय काफी चर्चा में हैं. इस जगह के इतिहास के बारे में हर कोई जानना चाहता है क्योंकि कहा जा रहा है कि यहां रोहिंग्या मुस्लिम रह रहे हैं.
राजधानी दिल्ली में जहांगीरपुरी इलाके की हिंसा के बाद वहां पर अवैध निर्माणों पर एमसीडी का बुलडोजर चला. हालांकि कुछ देर बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुलडोजर रुक गया. इसके बाद से कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि दिल्ली का जहांगीरपुरी इलाका कैसे बना और कब बना. वहीं लोग जानना चाहते हैं कि जहांगीरपुरी में रहने वाले लोग कौन हैं और कहां से आए हैं.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार जहांगीरपुरी बनने की कहानी साल 1975 में शुरू हुई थी. केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी और वह राजधानी को संवारना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने इसकी जिम्मेदारी संजय गांधी को दी और उन्होंने ही दिल्ली को सजाने और संवारने की महिम शुरू की. दिल्ली को संवारने के लिए सबसे पहले दिल्ली के मुख्य इलाकों मिंटो रोड, मंदिर मार्ग, गोल मार्केट, चाणक्यपुरी और ताज होटल के पास बनीं झुग्गियों को हटाया गया.
जो लोग इन झुग्गियों में रहते थे उन लोगों को जहांगीरपुरी और मंगोलपुरी में बसाया गया और सरकार की तरफ से इन्हें साढ़े बाईस गज का प्लॉट दिया गया. जो लोग झुग्गियों में रहते थे वह सभी प्रवासी थे और दिल्ली में मजदूरी करके अपना पेट भरते थे. माना जाता है कि ये सभी उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल से आए हुए थे. सरकार ने इन लोगों को नई जगह पर बसाने के साथ प्लॉट भी दिए गए थे और फिर दिल्ली में इन लोगों के के लिए नई कॉलोनियां भी बनीं. इन कॉलोनियों में हर धर्म और जाति के लोग बसते चले गए और यह सभी इस बात से खुश थे अब उन्हें पक्की छत के नीचे रहना होगा.
जहांगीरपुरी में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग रहते हैं. यहां पर रहने वाले लोग आज भी छोटी मोटी मजदूरी करते हैं और इनमें सबसे अधिक लोग कचरा बीनने वाले हैं. कुछ परिवार यहां पर मछली पालने का भी काम करते हैं. इतना ही नहीं दिल्ली की सबसे बड़ी दलित आबादी भी जहांगीरपुरी में रहती है.