सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एयरबैग सिस्टम उपलब्ध कराने में कार निर्माता की नाकामी पर दंडात्मक हर्जाना लगाया जाना चाहिए, जिससे कि भय पैदा हो सके. जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने अपने आदेश में यह बात कही.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि कार की टक्कर के समय एयरबैग (Airbag) नहीं खुलना दंडात्मक मुआवजा का कारण होगा. कंपनी को इसमें उपभोक्ता को मुआवजा देना ही देना होगा. शीर्श अदालत ने गुरुवार को हुंडई क्रेटा के एक मामले में सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एयरबैग सिस्टम उपलब्ध कराने में कार निर्माता की नाकामी पर दंडात्मक हर्जाना लगाया जाना चाहिए, जिससे कि भय पैदा हो सके. जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की बेंच ने अपने आदेश में यह बात कही.
सिद्धांतों के आधार पर टकराव के प्रभाव की गणना नहीं करता उपभोक्ता
बेंच ने कहा कि उपभोक्ता कार खरीदते वक्त यह मान लेता है कि टक्कर लगने की सूरत में एयरबैग अपने आप खुल जाएंगे. बेंच ने फैसले में कहा कि उपभोक्ता स्पीड और फोर्स के सिद्धांतों के आधार पर टकराव के प्रभाव की गणना करने के लिए नहीं है. अदालत ने ये टिप्पणी हुंडई मोटर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए की.
क्या है मामला
राष्ट्रीय आयोग ने दिल्ली उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें हुंडई क्रेटा के एयरबैग न खुलने के कारण एक्सीडेंट के समय सिर, छाती और दांतों में चोट लगने वाले उपभोक्ता को मुआवजा देने का निर्देश दिया गया था. राष्ट्रीय आयोग ने हुंडई की अपील को खारिज करते हुए राज्य आयोग के आदेश को बरकरार रखा. इसके खिलाफ हुंडई ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी.
हुंडई का कहना था कि सामने से टक्कर के एक विशेष कोण (30 डिग्री से कम), बल और घर्षण होने के बाद ही वाहन के एयरबैग खुलते हैं लेकिन कोर्ट ने कहा कि यह बात मैन्युअल में नहीं लिखी गई थी कि एक विशेष प्रकार की टक्कर के बाद ही एयरबैग्स खुलेंगे।