फर्स्ट क्राई करीब 700 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने की योजना बना रही है. इसमें नए शेयर व कंपनी के निवेशकों द्वारा ओएफएस शामिल है. ओएफएस से होने वाली आय कंपनी के पास नहीं जाएगी.
नई दिल्ली. बच्चों से जुड़ी वस्तुओं की विक्रेता फर्स्ट क्राई अपना आईपीओ लाने की योजना बना रहा है. मनीकंट्रोल के अनुसार, आईपीओ के जरिए कंपनी की करीब 700 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. कई जानकारों का कहना है कि आईपीओ को लेकर इन्वेस्टमेंट बैंकर्स के साथ बातचीत शुरू हो चुकी है.
खबरों के अनुसार, कोटक महिंद्रा और मॉर्गन स्टेन्ली आईपीओ के इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर कंपनी के साथ जुड़ भी चुके हैं. गौरतलब है कि इससे पहले बच्चों के क्लोदिंग ब्रैंड जिनी एंड जॉनी और लिलिपुट भी आईपीओ ला चुके हैं लेकिन वह असफल रहे थे. फर्स्ट क्राई अपने आईपीओ के लिए अगले महीने सेबी के पास दस्तावेज जमा कर सकती है. इसके साथ ही कंपनी ने खुद को निजी से सार्वजनिक कंपनी में बदलने के लिए बोर्ड से मंजूरी लेने की प्रक्रिया भी लगभग पूरी कर ली है. यह आईपीओ लाने से पहले सेबी के नियमों के अनुसार, कंपनी को अनिवार्य रूप से करना होता है.
इन्वेस्टर्स को मिलेगा आंशिक एग्जिट का मौका
मामले के एक जानकार के अनुसार, यह आईपीओ प्राइमरी शेयरों व निवेशकों द्वारा बिक्री के लिए पेशकश का मिश्रण होगा. इसमें कई निवेशकों को आंशिक एग्जिट का भी मौका मिलेगा. खबरों के अनुसार, निवेशकों द्वारा किया जा रहा ऑफर फोर सेल कुल आईपीओ साइज का 75 फीसदी यानी करीब 250 मिलियन डॉलर होगा. ऑफर फोर से हुई कमाई कंपनी के पास नहीं जाएगी.
फर्स्ट क्राई के बारे में सबकुछ
फर्स्ट क्राई की स्थापना सुपम महेश्वरी और अमितवा साहा ने 2010 में की थी. दोनों महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले हैं. कंपनी के पास 7.5 मिलियन पंजीकृत ग्राहक है. इसके अलावा इनके पास 2 लाख से अधिक प्रोडक्ट्स है जिसमें क्लोदिंग, फुटवियर, एक्सेसरी, खिलौने, टायलेट से जुड़ी वस्तुएं व अन्य चीजें शामिल हैं. कंपनी के पास 6,000 ब्रैंड्स हैं और 400 से ज्यादा स्टोर्स हैं. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, कंपनी की यूएई में भी उपस्थिति है. 2016 ने फर्स्ट क्राई ने महिंद्रा एंड महिंद्रा की सहायक इकाई बेबीओए को 362 करोड़ रुपये में खरीदा था. यह कंपनी 2020 में 296 मिलियन डॉलर का निवेश प्राप्त कर यूनिकॉर्न बन गई थी. यह निवेश इसे इसके बड़े निवेशक सॉफ्टबैंक से मिला था.