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दिल्ली/एनसीआर

अप्रैल महीने में आखिर क्यों टूटा 122 सालों का गर्मी का रिकार्ड, पढ़िये- एक्सपर्ट व्यू

Weather Update News इस साल अप्रैल महीने में अधिकतम तापमान औसत से 3.9 डिग्री अधिक जबकि न्यूनतम रहा 0.8 डिग्री ज्यादा दर्ज किया गया। सबसे बड़ी बात यह कि अप्रैल में बारिश हुई नहीं के बराबर हुई।

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। अप्रैल की गर्मी ने तो इस साल दशकों का रिकार्ड तोड़ा ही, तापमान और सूखे ने भी हाल बेहाल कर दिया। दरअसल, अप्रैल में गर्म हवाओं के कारण बढ़े तापमान ने 122 साल पुराना रिकार्ड तक तोड़ डाला। इसके पीछे सूखे और अधिकतम तापमान को बड़ी वजह माना जा रहा है। दरअसल, माह का अधिकतम तापमान जहां औसत से 3.9 डिग्री वहीं न्यूनतम 0.8 डिग्री ज्यादा दर्ज किया गया। यही हाल बारिश का रहा। मार्च में बिल्कुल नहीं हुई तो अप्रैल में 98 प्रतिशत कम हुई।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (Indian Meteorological Department) के मुताबिक अप्रैल का औसत अधिकतम तापमान 36.3 डिग्री सेल्सियस रहता है, जबकि इस बार यह 40.2 डिग्री सेल्सियस रहा। एक दिन सामान्य से कम और एक दिन सामान्य स्तर पर दर्ज हुआ जबकि 28 दिन सामान्य से अधिक ही रहा।

बता दें कि अधिकतम तापमान का आल टाइम रिकार्ड 29 अप्रैल 1941 के नाम है जब यह 45.6 डिग्री रहा था। इसी तरह अब अगर न्यूनतम तापमान की बात करें तो इस माह का औसत न्यूनतम तापमान 21.4 डिग्री सेल्सियस है जबकि इस बार यह 22.2 डिग्री सेल्सियस रहा। दो दिन सामान्य स्तर से नीचे, 11 दिन सामान्य से ऊपर जबकि 18 दिन सामान्य स्तर पर दर्ज हुआ।

ज्ञात हो कि न्यूनतम तापमान का आल टाइम रिकार्ड 02 अप्रैल 1965 के नाम है जब यह 10.7 डिग्री तापमान रहा था।जहां तक बारिश की बात है तो मार्च के बाद यह माह भी करीब करीब सूखा ही रहा। मार्च में बिल्कुल बारिश नहीं हुई, जबकि इस माह 12.2 मिमी के बनिस्पत केवल 0.3 मिमी रिकार्ड की गई।

बता दें कि पिछले साल इस माह यानी अप्रैल महीने में तीन मिमी, 2020 में 13.8 मिमी, 2019 में 9.5 मिमी, 2018 में 14.9 मिमी और 1017 में 26.9 मिमी बारिश हुई थी। 2016 में एक भी दिन बारिश नहीं हुई थी। अप्रैल में बारिश का आल टाइम रिकार्ड सन 1983 के नाम है जब दिल्ली में 183.5 मिमी बारिश रिकार्ड हुई थी।

महेश पलावत, उपाध्यक्ष (मौसम विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन), स्काईमेट वेदर के मुताबिक, मार्च के बाद अप्रैल में भी अत्यधिक गर्मी पड़ने की वजह मजबूत पश्चिमी विक्षोभों का अभाव और बारिश का ना होना ही है। जलवायु परिवर्तन का असर तो मौसम के हर एक्सट्रीम इवेंट में सामने आ ही रहा है।

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