सरकार ने कहा है कि भारत के पास खाद्य तेल का स्टॉक पर्याप्त है. सोयाबीन की फसल वित्त वर्ष 2020-21 से बेहतर हुई है. भारत इंडोनेशिया के निर्यात प्रतिबंध से पैदा होने वाली स्थितियों से निपटने के लिए तैयार है.
नई दिल्ली. सरकार ने रविवार को कहा कि देश में खाद्य तेलों का पर्याप्त भंडार है और वह कीमतों और आपूर्ति की स्थिति पर कड़ी नजर रखे हुए है. खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “भारत में सभी खाद्य तेलों का पर्याप्त भंडार है. उद्योग के सूत्रों के अनुसार, देश में सभी खाद्य तेलों का वर्तमान स्टॉक 21 लाख टन लगभग है और लगभग 12 लाख टन मई में आने वाला है.”
सरकार के अनुसार, इंडोनेशिया द्वारा निर्यात पर प्रतिबंध के लगाए जाने के कारण उत्पन्न हुई इस स्थिति से निपटने के लिए भारत के पास पर्याप्त भंडार है. वहीं, तिलहन की ओर देखें तो कृषि मंत्रालय द्वारा फरवरी में जारी किए गए अग्रिम आंकड़े के मुताबिक 2021-22 में 126.10 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ है जबकि यह पिछले साल के 112 लाख टन से अधिक है.
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अधिक उत्पादन की उम्मीद
राजस्थान सहित सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में सरसों की बुआई 37 फीसदी अधिक होने से पिछले वर्ष की तुलना में 2021-22 सीजन में उत्पादन बढ़कर 114 लाख टन हो सकता है. सरकारी बयान के अनुसार, “खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग कीमत और उपलब्धता की स्थिति की निगरानी कर रहा है. खाद्य तेल की कीमतों और एमआरपी में कमी पर चर्चा करने के लिए प्रमुख खाद्य तेल प्रसंस्करण संघों के साथ नियमित रूप से बैठकें आयोजित की जाती हैं.”
कहां से तेल आयात करता है भारत
खाद्य मंत्रालय ने कहा कि पाम तेल (कच्चा और प्रोसेस्ड) कुल आयातित खाद्य तेलों का लगभग 62 फीसदी है. वे मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किए जाते हैं. सोयाबीन तेल (22 प्रतिशत) अर्जेंटीना और ब्राजील से आयात किया जाता है, जबकि सूरजमुखी तेल (15 प्रतिशत) मुख्य रूप से यूक्रेन और रूस से आयात किया जाता है.
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कीमतों पर रखी जा रही कड़ी नजर
बयान में कहा गया है, “वैश्विक उत्पादन में कमी और निर्यातक देशों द्वारा निर्यात कर/लेवी में वृद्धि के कारण खाद्य तेलों की अंतरराष्ट्रीय कीमतें दबाव में हैं. खाद्य तेलों की कीमतों पर दिन-प्रतिदिन के आधार पर कड़ी नजर रखी जा रही है ताकि कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए उचित उपाय किए जा सकें.” खाद्य सचिव की अध्यक्षता में कृषि-वस्तुओं पर साप्ताहिक रूप से आयोजित अंतर-मंत्रालयी समिति की बैठकें किसानों, उद्योग और उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए खाद्य तेल सहित कृषि वस्तुओं की कीमतों और उपलब्धता की बारीकी से निगरानी करती हैं.