दो साल बाद पहली बार इस तिमाही में यस बैंक ने मुनाफा दर्ज किया. बैंक के सीईओ और एमडी प्रशान्त कुमार का कहना है कि बैंक ग्रोथ की राह पर लौट चुका है. मनी कंट्रोल से एक एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रशान्त कुमार ने कहा कि बैंक मौजूदा वित्त वर्ष में 7500 करोड़ रुपए जुटाने की योजना लेकर चल रहा है.
मुंबई . एक दो साल पहले यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि यस बैंक डूबेगा या बच जाएगा. तमाम प्रयासों की वजह से बैंक तो बच गया लेकिन भारी घाटे में चला गया. इसके शेयर में निवेश करने वाले निवेशकों की तो बात ही मत करिए. 300 रुपए से ऊपर चलने वाला यस बैंक का शेयर 10 रुपए पर आ गया. फिलहाल यह 12 से 15 रुपए के रेंज में पिछले कुछ दिनों से घूम रहा है.
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दो साल बाद पहली बार इस तिमाही में यस बैंक ने मुनाफा दर्ज किया. बैंक के सीईओ और एमडी प्रशान्त कुमार का कहना है कि बैंक ग्रोथ की राह पर लौट चुका है. तिमाही आधार पर हमारा प्रदर्शन बिजनेस और मुनाफा दोनों के लिहाज से बेहतर हो रहा है. मनी कंट्रोल से एक एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रशान्त कुमार ने कहा कि बैंक मौजूदा वित्त वर्ष में 7500 करोड़ रुपए जुटाने की योजना लेकर चल रहा है. एसेट और देनदारियों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है. बैंक अपनी बैलेंसशीट को सुधारने और मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रहा है.
क्या आगे भी मुनाफा बना रहेगा ?
बैंक दो साल बाद मुनाफे में आया है. क्या इस प्रदर्शन को बैंक बरकरार रख पाएगा ? इस सवाल पर कुमार ने कहा कि बिल्कुल, इसमें कोई शक नहीं है. मुझे लगता है, अगर आप तिमाही-दर-तिमाही आधार पर हमारे प्रदर्शन को देखते हैं, तो यह व्यापार और लाभ दोनों के मामले में पिछले वाले से बेहतर है.
न केवल एक तिमाही में प्रदर्शन अच्छा रहा है, बल्कि इसमें लगातार सुधार हो रहा है. हमने पहले ही विकास की राह पर आगे बढ़ना शुरू कर दिया है. हमने पिछले वित्तीय वर्ष में लगभग 70,000 करोड़ रुपये का लोन बांटा किया है. एनआईएम (शुद्ध ब्याज मार्जिन) का विस्तार हुआ है. वसूली काफी बेहतर है. मुझे लगता है, इस स्पीड के साथ, हम न केवल व्यावसायिक पक्ष में अच्छी वृद्धि दिखाने में सक्षम होंगे, बल्कि निरंतर मुनाफे में भी रहेंगे.
25 हजार करोड़ रुपए के बैड लोन के लिए एआरसी
एसेट ग्रोथ के हिसाब से अगर आप देखें तो बड़े कॉरपोरेट (सेगमेंट) को छोड़कर हम 27 फीसदी तक बढ़े हैं. इसलिए, हम उस सेगमेंट में 25 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य रख रहे हैं और इसे पाने में कोई समस्या भी नहीं दिख रही है. दो-तीन सेक्टर की वजह से डिमांड आ रही है. पिछले साल कॉरपोरेट्स ने पैसा जुटाया लेकिन वे बाजार से पैसा जुटा रहे थे और बैंकों को चुका रहे थे. अब जबकि अर्थव्यवस्था बदल रही है, वे बैंकों के पास आ रहे हैं.
कुमार ने कहा कि बैंक अपनी प्रस्तावित संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी (एआरसी) के लिए एक पार्टनर को फाइनल करने वाला है. यह एआरसी बैंक के 25 हजार करोड़ रुपए के बैड लोन की देख-रेख करेगा.