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तेलंगाना

देसी गायों को बचाने के लिए SC पहुंचीं तेलंगाना के कानून मंत्री की बहू, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

तेलंगाना के कानून मंत्री ए. इंद्राकरण रेड्डी की बहू दिव्या रेड्डी ने याचिका में कहा कि 2012 और 2019 के बीच देसी गायों की आबादी में 6 फीसदी की कमी हुई है. इसकी बड़ी वजह देसी गायों को विदेशी नस्ल के साथ क्रॉस कराना है. उन्होंने कहा कि इस तरह का क्रास बंद नहीं हुआ तो देसी गायें लुप्त हो जाएंगी.

नई दिल्ली. तेलंगाना के कानून मंत्री की बहू ने देसी गायों की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हैदराबाद में डेरी फार्म चलाने वाली ए. दिव्या रेड्डी ने याचिका में कहा है कि भारत में देसी गायों की संख्या लगातार घट रही है. इसे रोकने के लिए सरकार को जल्द कदम उठाने होंगे. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्यों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है. तेलंगाना के कानून मंत्री ए. इंद्राकरण रेड्डी की बहू दिव्या रेड्डी ने याचिका में कहा है कि भारत में 80 फीसदी लोग गाय की पूजा करते है. देसी गायों के दूध की गुणवत्ता ज्यादा होती है. लेकिन लोग ज्यादा दूध पाने के चक्कर में इनका क्रॉस करा रहे हैं. इस वजह से इनकी आबादी तेजी से घट रही है.

उन्होंने देसी गायों की आबादी घटने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इसकी सबसे बड़ी वजह देसी गायों को विदेशी नस्ल के साथ क्रॉस कराया जा रहा है. देसी गायों को आमतौर पर जर्सी और होलस्टिन जैसी नस्लों के साथ क्रॉस कराया जाता है. नतीजा ये कि जो बच्चे पैदा होते हैं, वो देसी नस्ल के नहीं रह जाते. इस तरह क्रॉस कराने का मकसद होता है कि पैदा होने वाली गाय के बच्चे देसी गायों से ज्यादा दूध दें.

याचिका में 2012 और 2019 की जनगणना के आंकड़ों की तुलना करते हुए देसी गायों की संख्या में कमी की तरफ इशारा किया गया है. याचिका के मुताबिक, 2012 से 2019 के बीच देसी गाय की तादाद में 6 फीसदी की कमी आई है, जबकि विदेशी नस्ल या क्रॉस हुई गायों की तादाद 29 फीसदी तक बढ़ गई है.

दिव्या रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट से देसी गायों को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाने की गुहार लगाई. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मांग है कि देसी गायों का विदेशी नस्ल से क्रॉस बंद कराया जाए. इस पर रोक लगाने का आदेश दिया जाए. उनका कहना है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो भारत की देसी गाय लुप्त हो जाएगी. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों से चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है.

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