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पंजाब

धान की बुआई के लिए किसानों को मिलेगी 8 घंटे बिजली, पंजाब सरकार ने निकाली यह तरकीब

Punjab Farmers Paddy News: चावल की सीधी सीडिंग (डीएसआर) तकनीक के लिए पूरे राज्य में 20 मई से धान की रोपाई की जा सकती है. सूत्रों ने कहा कि सरकार ने धान की बुवाई और रोपाई दोनों की तारीखें तय करने से पहले विभिन्न किसान संगठनों के साथ कई बैठकें की हैं.

चंडीगढ़. बिजली संकट से जूझ रही पंजाब सरकार ने किसानों को धान की बुआई के दौरान नलकूप चलाने के लिए 8 घंटे बिजली मुहैया करवाने की तरकीब निकाल ली है. सरकार ने धान की बुआई के लिए जिलेवार तिथियां घोषित की है. इस साल धान की बुआई 18 जून से शुरू होगी, जबकि बीते साल 10 जून बुआई की तिथि निर्धारित की गई थी. विवरण के अनुसार, चावल की सीधी सीडिंग (डीएसआर) तकनीक के लिए पूरे राज्य में 20 मई से धान की रोपाई की जा सकती है. सूत्रों ने कहा कि सरकार ने धान की बुवाई और रोपाई दोनों की तारीखें तय करने से पहले विभिन्न किसान संगठनों के साथ कई बैठकें की हैं.

मालवा क्षेत्र में पहले होगी धान की रोपाई
अधिसूचना के अनुसार मालवा क्षेत्र के अधिकांश हिस्से में बुवाई की शुरुआती तारीखें रहेंगी क्योंकि वहां किसान धान की लंबी अवधि के लिए खेती करेंगे. संगरूर, बरनाला, मलेरकोटला, लुधियाना, पटियाला, श्री फतेहगढ़ साहिब जिलों में 18 जून से रोपाई होगी, जबकि बठिंडा, मनसा, मोगा, फरीदकोट, फिरोजपुर, फाजिल्का जिलों में रोपाई  22 जून से शुरू होगी. मोहाली, रोपड़,  एसबीएस नगर, जालंधर, कपूरथला, श्री मुक्तसर साहिब 24 जून से धान की रोपाई शुरू होंगे और गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर, अमृतसर, तरनतारन में 26 जून से प्रत्यारोपण होगा।

धान की सीधी बुआई 20 मई से
डीएसआर तकनीक के तहत धान की बुवाई के लिए निर्धारित समय-सारणी के अनुसार प्रदेश भर के किसानों को 20 मई से 31 मई के बीच हर दूसरे दिन 8 घंटे निर्बाध आपूर्ति मिलेगी. सामान्य सिंचाई का विकल्प चुनने वाले किसानों को 31 मई से 17 जून तक 3 घंटे बिजली की आपूर्ति होगी. इसी तरह, 18 जून को धान की रोपाई करने वाले जिलों को फसल परिपक्व होने तक 6/7 दिनों के लिए 8 घंटे बिजली की आपूर्ति मिलेगी. 22 जून, 24 जून और 26 जून को धान की रोपाई करने वाले जिलों को भी फसल के परिपक्व होने तक, उनकी संबंधित रोपाई की तारीख से 6-7 दिनों के लिए आठ घंटे की आपूर्ति मिलेगी.

क्या कहते हैं कृषि विभाग के निदेशक
पंजाब के कृषि विभाग के निदेशक, डॉ गुरविंदर सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि किसान आमतौर पर मई के महीने में ही डीएसआर की बुवाई शुरू करते हैं. तारीखें निर्धारित की गई हैं ताकि हम धान की फसल की जरूरतों को पूरा करते हुए पानी और बिजली दोनों बचा सकें. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य बारिश के मौसम के करीब प्रत्यारोपण की तारीख निर्धारित करके हमारे भूजल का संरक्षण करना है.भारती किसान यूनियन-दकौंडा के महासचिव जगमोहन सिंह (डकौंडा) ने कहा कि सरकार बिजली संकट का प्रबंधन करने में विफल रही है. जिससे उन्हें ऐसी अधिसूचनाएं जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा जो व्यावहारिक नहीं हो सकती हैं.

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