Income Tax: इनकम टैक्स ऑफिसर्स से कहा गया है कि वे वित्तीय वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 के लिए उन छोटे करदाताओं को रीअसेसमेंट नोटिस जारी नहीं करें जिनकी टैक्स से बचने वाली इनकम 50 लाख रुपये से कम है.
Income Tax: छोटे टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी खबर है. इनकम टैक्स ऑफिसर्स से कहा गया है कि वे वित्तीय वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 के लिए उन छोटे करदाताओं को रीअसेसमेंट नोटिस (reassessment notices for 3 years) जारी नहीं करें जिनकी टैक्स से बचने वाली इनकम 50 लाख रुपये से कम है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी ने इनकम टैक्स ऑफिसर्स को यह निर्देश जारी किया है.
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कोर्ट के फैसले को लागू करने का निर्देश
खबर के मुताबिक, तीन साल की रीअसेसमेंट पीरियड के बाद भेजे गए नोटिसों के संबंध में शीर्ष अदालत के फैसले को लागू करने का निर्देश जारी करते हुए विभाग ने कहा कि वित्त वर्ष 2016 और वित्त वर्ष 2017 के लिए जहां इस तरह के नोटिस जारी करने की समय सीमा 3 साल के भीतर आती है, वहीं टैक्स अधिकारी कारण बताओ जारी करेंगे. साथ ही टैक्स अधिकारी इन टैक्सपेयर्स को 30 दिनों के अन्दर रीअसेसमेंट कार्यवाही शुरू करने के लिए जरूरी जानकारी देंगे.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पक्ष में था फैसला
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने टैक्स (Income Tax) अधिकारियों से ऐसे नोटिसों का जवाब देने के लिए करदाताओं को दो सप्ताह का समय देने को कहा, जिसे वास्तविक मामलों में करदाता के अनुरोध पर आगे बढ़ाया जा सकता है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पक्ष में फैसला सुनाया था. इस फैसले में 1 अप्रैल, 2021 को या उसके बाद जारी किए गए सभी रीअसेसमेंट नोटिस को बरकरार रखा था. इसमें 6 साल तक के असेसमेंट को फिर से खोलने की भी बात है.
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तब डिपार्टमेंट गया था सुप्रीम कोर्ट
सरकार ने पिछले साल (2021-22) के बजट में इनकम टैक्स असेसमेंट के लिए फिर से खोलने का समय 6 साल से घटाकर 3 साल कर दिया था. हालांकि, टैक्स डिपार्टमेंट ने असेसमेंट को फिर से खोलने के लिए कई नोटिस भी भेजे, जो 3 साल से भी ज्यादा पुराने हैं. इन नोटिसों को तब कई हाई कोर्ट्स में चुनौती दी गई थी और तब इनकम टैक्स डिपार्मेंट ने इस तरह के नोटिस को बरकरार रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में अपील की थी.
निर्देश को बताया सही
नांगिया एंड कंपनी एलएलपी पार्टनर शैलेश कुमार ने कहा कि यह सीबीडीटी की तरफ से करदाताओं और टैक्स अधिकारियों दोनों को स्पष्टता प्रदान करने वाला एक बहुत स्वागत योग्य सर्कुलर है. इसी तरह, एमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि यह सर्कुलर वित्त अधिनियम 2021 और शीर्ष अदालत के फैसले के बाद के रीअसेसमंट से जुड़े विवाद से उत्पन्न सभी मुद्दों को स्पष्ट करेगा.