मध्य प्रदेश में जब से सुप्रीम कोर्ट के नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव कराए जाने का फैसला सुनाया है तब से सरगर्मी बढ़ गई है। नगरीय निकाय चुनाव में महापौर-अध्यक्षों के चुनाव प्रत्यक्ष का अध्यादेश लाएगी सरकार।
मध्य प्रदेश में जब से सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव कराए जाने का फैसला सुनाया है तब से सरगर्मी बढ़ गई है। नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्षों के चुनाव प्रत्यक्ष रूप से कराए जाने के लिए सरकार अध्यादेश ला रही है तो भाजपा और कांग्रेस की भी मैदानी तैयारियां तेज हो गई हैं। वहीं, सरकार सुप्रीम कोर्ट में आदेश में संशोधन के लिए एकबार फिर कोर्ट गई हुई है जिसमें 17 मई को सुनवाई है और उसके बाद इन चुनावों के लिए राजनीतिक सरगर्मी और तेज हो जाएंगी।
नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्ष के सीधे चुनाव कराए जाने का राज्य सरकार ने फैसला लिया है जिसका अध्यादेश जारी होना है। बताया जाता है कि आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल से मुलाकात की जिसमें इस अध्यादेश सहित प्रदेश के अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई। कमलनाथ सरकार के समय नगरीय निकाय चुनाव में महापौर और अध्यक्षों के चुनाव वार्ड पार्षदों द्वारा किए जाने का प्रावधान किया गया था जिसको शिवराज सरकार बदल रही है। सुप्रीम कोर्ट के दो सप्ताह के भीतर चुनाव कराए जाने के आदेश के पालन के लिए राज्य सरकार को अध्यादेश लाना पड़ रहा है।
भाजपा की बैठकों में तैयारियां
भाजपा ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव को लेकर सरकार के सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद भी अपनी तैयारियां जारी रखी हैं। भाजपा की आज विधायकों और प्रमुख नेताओं के साथ बैठक की। इसमें सीएम शिवराज सिंह चौहान भी वर्चुअली शामिल हुए। बैठक में विधायकों को उनके विधानसभा क्षेत्र और प्रभारी मंत्रियों को जिलों की जिम्मेदारी दी गई है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने मीडिया से कहा कि उनके बूथ लेबल तक की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और सभी नेता-कार्यकर्ता चुनाव के लिए तैयार हैं।
कांग्रेस का चुनाव की तैयारियों का दावा
वहीं, कांग्रेस का दावा है कि वह नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। प्रदेश कांग्रेस के प्रशासन प्रभारी महामंत्री राजीव सिंह ने बताया है कि जब दिसंबर 2021 में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव का ऐलान हुआ था तभी कांग्रेस ने इसकी तैयारी कर ली थी। सभी जिलों-विधानसभा क्षेत्रों में आब्जर्वर भेजकर आंकड़े और दावेदारों की जानकारी जुटा ली थी। मगर 17 मई को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद स्थिति और स्पष्ट होने के बाद पार्टी फिर से आब्जर्वर को भेजकर अपने रिकॉर्ड को अपडेट कर लेगी।