हरियाणा सरकार पंजाब की तरह एक विधायक एक पेंशन योजना लागू नहीं करेगी। सीएम मनोहर लाल ने कहा कि यह फैसला लेना इतना आसान नहीं है। पंजाब सरकार के फैसले से उसके खुद के विधायक उसके खिलाफ हो जाएंगे।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के विधायकों व पूर्व विधायकों को घबराने की जरूरत नहीं है। आम आदमी पार्टी के दबाव में जिस तरह एक विधायक-एक पेंशन की मांग उठ रही है, उसके मद्देनजर हरियाणा सरकार अभी कोई फैसला नहीं लेने जा रही है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि पेंशन बंद करना आसान नहीं है। हो सकता है कि आम आदमी पार्टी के इस फैसले से उसके अपने विधायक सरकार के खिलाफ हो जाएं। पंजाब की भगवंत मान सरकार ने अपने राज्य में एक विधायक-एक पेंशन योजना लागू की है।
कई पूर्व विधायकों को उनके कार्यकाल के हिसाब से कई-कई पेंशन मिलती है। हरियाणा में 268 पूर्व विधायकों को करीब 25 करोड़ रुपये की पेंशन मिलती है। पंजाब में जिस तरह से भगवंत मान सरकार ने एक विधायक-एक पेंशन योजना लागू की है, उससे हरियाणा पर दबाव बढ़ा है।
कांग्रेसी से आम आदमी पार्टी नेता बने पूर्व मंत्री निर्मल सिंह अपनी तीन पेंशन छोड़ चुके हैं। आम आदमी पार्टी के हरियाणा प्रभारी एवं राज्यसभा सदस्य डा. सुशील गुप्ता ने सरकार पर दबाव बना रखा है कि हरियाणा की भाजपा सरकार एक विधायक-एक पेंशन का फार्मूला लागू करे। हालांकि यह दबाव तब है, जब राज्य की विधानसभा में आम आदमी पार्टी का कोई विधायक नहीं है।
इससे जुड़े सवाल पर मनोहर लाल ने दो टूक कह दिया कि ऐसा फैसला लेना आसान नहीं है। पूर्व विधायकों की पेंशन बंद करने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। मनोहर लाल के अनुसार, भविष्य में इस बारे में सोचा जा सकता है, लेकिन आम आदमी पार्टी के खुद के विधायक अपनी सरकार के इस फैसले से हैरान और परेशान हैं। दिल्ली में भी ऐसा कोई फैसला अभी तक नहीं लिया गया है। हम पंजाब सरकार के फैसले का अध्ययन करेंगे। इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है।