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कोरोना छूटा पीछे, अब यह वायरस हुआ ज्यादा खतरनाक; 40 फीसद संक्रमितों की हो रही मौत | जानें कारण, लक्षण और इलाज

कोरोनावायरस अब भी दुनियाभर की सरकारों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. आज भी हजारों-लाखों लोग इस वायरस के किसी न किसी वेरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं और 65 लाख से ज्यादा लोग अब तक जान गंवा चुका हैं. इधर एक अन्य वायरस ने WHO को चिंता में डाल दिया है. इस वायरस से संक्रमित 40 फीसद लोगों की मौत हो रही है.

दुनियाभर में अब 63 लाख से ज्यादा लोगों की मौत की वजह बन चुकी कोविड-19 (Covid19) बीमारी अभी खत्म नहीं हुई है. अब भी प्रतिदिन लाखों कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं और बड़ी संख्या में लोगों की मौत भी हो रही है. इस बीच एक बुखार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को परेशान किया हुआ है. इस बुखार की खासियत यह है कि इसका प्रमुख लक्षण नाक से खून (Nose Bleeding) आना है. यही कारण है कि इस बुखार को नोज-ब्लीड फीवर कहा जा रहा है और चिंताजनक बात यह है कि 10 में से 4 संक्रमितों की मौत हो जाती है. यानी इस बुखार से संक्रमित होने पर 40 फीसद मरीजों की मौत हो रही है.

इस बुखार का नाम क्रिमियन-कॉन्गो हेमोर्रैजिक फीवर (CCHF) है. कोरोना वायरस की ही तरह यह भी जानवरों से इनसानों में आया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार इस साल इराक में CCHF से अब तक 111 में से 19 मरीजों की मौत हो चुकी है. WHO इस बुखार को लेकर इसिए भी चिंतत है, क्योंकि अभी तक इससे बचाव के लिए कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है.

बीमारी के लक्षण

CCHF के कारण शरीर के अंदरूनी और बाहरी अंगों से खून बहने लगता है, खासतौर पर नाक से खून आना इस बीमारी का प्रमुख लक्षण है. जानकारों के अनुसार इस बीमारी 40 फीसद संक्रमितों की मौत हो जाती है. इराक के धी-क्वार प्रोविंस के स्वास्थ्य अधिकारी हैदर हनटॉसे का कहना है यहां CCHF के मामले अभूतपूर्व रूप से बढ़े हैं.

इराक में CCHF के आधे से ज्यादा मामले दक्षिणी इराक के इसी गरीब इलाके में पाए गए हैं, जहां पर ज्यादातर लोग खेती-किसानी करते हैं. उन्होंने कहा, पिछले साल इसके कुछ ही मामले सामने आए थे, लेकिन इस साल मामले काफी ज्यादा हैं. यह बुखार टिक (कीट) के जरिए फैलता है. CCHF का वायरस घरेलू और जंगली जानवरों जैसे भेंस गाय, बकरी, भेड़ आदि में पाया जाता है. धी-क्वार क्षेत्र में इन जानवरों की भरमार है.

जानवरों में किया जा रहा कीटनाशक का छिड़काव

दक्षिण इराक के अल-बुजारी गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एक घर, जिसमें एक महिला इससे संक्रमित है, उसके पड़ों के अस्तबल में जनवरों में कीटनाशक का छिड़काव किया. इस दौरान टीम ने मास्क पहने हुए थे और आंखों को ढकने के लिए चश्मा और पूरे शरीर को ढका हुआ था. यहां टीम के लोगों ने गाय और उसके दो बछड़ों पर कीटनाशक का छिड़काव किया.

कीटनाशक के छिड़काव के बाद इस टीम के कर्मचारी ने गाय से गिरे एक कीट को उठाकर दिखाया और फिर एक कंटेनर में रख लिया. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार संक्रमित कीट के काटने से जानवरों में यह संक्रमण तेजी से फैल रहा है. कीट के काटने से CCHF वायरस इंसानों में फैल रहा है और इसके इंसानों में फैलने का दूसरा कारण संक्रमित जानवर के खून के संपर्क में आना भी है. खासतौर पर जानकर को काटने के तुरंत बाद उसके संपर्क में आने से यह इंसानों में फैल रहा है.

43 साल पहले पहली बार सामने आया था वायरस

इस वायरस की सबसे पहले 1979 में पहचान हुई थी, जब इस क्षेत्र में इसका प्रकोप हुआ था. 43 साल पहले जब पहली बार यह वायरस फैला था तब भी इसके इतने ज्यादा मामले सामने नहीं आए थे, यही कारण है कि अधिकारी इसको लेकर चिंतत हैं. साल 2021 में इराक के दक्षिणी राज्य में 16 केस दर्ज हुए थे, जिसमें से 7 की मौत हुई थी. लेकिन इस साल अब तक 43 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 8 की मौत हो चुकी है.

हालांकि, यदि कोविड19 से तुलना करें तो CCHF के मौजूदा आंकड़े बहुत कम दिखते हैं, लेकिन जिस तरह से इस संक्रमण से मौतें हो रही हैं, यह चिंताजनक है. और भी चिंताजनक यह है कि इस वायरस के खिलाफ हमारे पास कोई वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार CCHF में मृत्युदर 10 से 40 फीसद है.

इलाज क्या है

जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं. WHO चिंतित है, क्योंकि अभी तक इस वायरस के खिलाफ हमारे पास कोई भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. फिलहाल इस वायरस से बचाव ही इसका इलाज है.

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