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टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लैप्स होने पर नई खरीदें या पुरानी को रिवाइव करें? कौन-सा ऑप्शन बेहतर

यदि टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लैप्स हो जाए तो उसे रिवाइव करना फायदेमंद होगा या फिर एक नई पॉलिसी खरीद लेना बेहतर होगा. ये दोनों ऑप्शन अलग-अलग कंडीशन्स पर निर्भर करते हैं. यहां दोनों के बारे में बताया गया है.

नई दिल्ली. 2020 में कोरोना के बाद पूरी दुनिया बदल गई है. इस महामारी ने बताया कि जिंदगी कितनी अनिश्चित है, और इसलिए व्यक्ति को हमेशा अपने परिवार वालों की आर्थिक सुरक्षा का इंतजाम जीते जी कर लेना चाहिए. परिवार में मुखिया के जाने की कमी तो कभी पूरी नहीं हो पाती, लेकिन यदि उसके जाने के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य बनी रहे तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता. यही वजह है कि 2020 के बाद टर्म इंश्योरेंस प्लान बहुत चर्चा में है.

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मनीकंट्रोल ने पॉलिसीबाजार डॉट कॉम की बिजनेस हेड (टर्म लाइफ इंश्योरेंस) सज्जा प्रवीन से यह जानने की कोशिश की कि यदि पॉलिसी लैप्स हो जाए तो उसे रिवाइव करना फायदेमंद होगा या फिर एक नई पॉलिसी खरीद लेना बेहतर होगा. उन्होंने बताया कि दोनों अलग-अलग कंडीशन्स पर निर्भर करता है.

पॉलिसी लैप्स क्या है
किसी भी कारण से यदि आप अपने टर्म लाइफ इंश्योरेंस का प्रीमियम समय पर नहीं भर पाते हैं तो पॉलिसी लैप्स हो जाती है. लेकिन इसके लिए कुछ कंडीशन्स हैं, जिन्हें समझना जरूरी है. यदि आप ड्यू डेट से पहले प्रीमियम नहीं भरते तो कंपनी की तरफ से 15-30 दिनों का ग्रेस पीरियड मिलता है. यदि उस ग्रेस पीरियड में भी प्रीमियम नहीं भरा जाता है तो पॉलिसी लैप्स हो जाती है.

पॉलिसी को रिवाइव कैसे करें
यदि टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लैप्स हो जाती है तो आप 5 साल के भीतर (पहले न दिए प्रीमियम से शुरू होकर) रिवाइव करवा सकते हैं. लैप्स पॉलिसी को रिवाइव कराने के लिए आपको अभी तक न दिया गया पूरा प्रीमियम और उस पर लगने वाले ब्याजा और टैक्स भी देना होगा. यदि पॉलिसी की टर्म्स एंड कंडीशन्स में है तो आपको पेनल्टी और रिवाइवल चार्ज भी चुकाना होगा.

यदि आपकी पॉलिसी को लैप्स हुए 6 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है तो आपको फिर से वो तमाम मेडिकल टेस्ट करवाने होंगे, जो पॉलिसी लेते समय करवाए गए थे. हालांकि कुछ स्कीम्स में, आपको इन चार्जेज पर कुछ डिस्काउंट भी मिल जाता है.

रिवाइव कराएं या फिर नई लें
पॉलिसी लैप्स होने के बाद किसी को फिर से महसूस होता है कि पॉलिसी होनी ही चाहिए तो उसके सामने 2 विकल्प होते हैं. पहला तो पुरानी पॉलिसी को फिर से एक्विट कराना अथवा रिवाइव करना और दूसरा नई पॉलिसी लेना. तो यहां यह समझना जरूरी है कि किन हालातों में रिवाइव करना अच्छा है और कौन से हालातों में नई पॉलिसी ली जा सकती है.

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पॉलिसी को रिवाइव कराते समय नहीं चुकाए गए प्रीमियम्स के साथ बहुत सारे शुल्क देने पड़ेंगे, जबकि नई पॉलिसी लेना भी महंगा पड़ेगा. नई पॉलिसी का मतलब है कि आपको अब प्रीमियम पहले से अधिक देना होगा और भविष्य में भी वही प्रीमियम देते रहना होगा.

ऐसे में यदि आपकी पॉलिसी को लैप्स हुए कुछ ही समय हुआ है तो नई पॉलिसी ली जा सकती है, क्योंकि प्रीमियम में बहुत ज्यादा फर्क नहीं होगा. परंतु यदि आपकी पॉलिसी काफी पुरानी थी और वह लैप्स हो गई है तो आपको नई पॉलिसी लेने में नुकसान होगा. ऐसे में आपको पुरानी पॉलिसी रिवाइव करानी चाहिए. यदि आप नई पॉलिसी लेने का मन बना रहे हैं तो आपको अलग-अलग कंपनियों के प्रीमियम और उनकी सर्विसेज के बीच में तुलना कर लेनी चाहिए.

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