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क्या आने वाली है कोरोना की चौथी लहर? जानें टाटा इंस्टिट्यूट के एक्सपर्ट डॉक्टर ने क्या कहा

Corona 4th wave: कोरोना केसों में लगातार बढ़ोतरी के बाद चौथी लहर आने की अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन टाटा इंस्टिट्यूट के डॉक्टर राकेश मिश्रा ने कहा है कि चौथी लहर की संभावना बेहद कम है. अगर सभी तरह की सावधानियां बरती जाएं तो चिंता करने की जरूरत नहीं है.

नई दिल्लीः भारत में कोरोना के केसों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. सोमवार को देश में पिछले 24 घंटों के दौरान 4518 नए केस दर्ज किए गए और 9 संक्रमितों की मौत हुई. इससे एक दिन पहले भी 4270 नए मामले सामने आए थे. केसों में बढ़ोतरी को लेकर ये आशंका जताई जाती रही है कि क्या ये कोरोना की चौथी लहर की आहट है. इसे लेकर टाटा इंस्टिट्यूट के डॉक्टर राकेश मिश्रा ने अहम बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चौथी लहर की संभावना बेहद कम है, मुझे नहीं लगता कि भारत में कोरोना की अगली वेव अभी आने वाली है.

टाटा इंस्टिट्यूट फॉर जेनेटिक्स एंट सोसायटी के डॉ. राकेश मिश्रा ने समाचार एजेंसी एएनआई से इंटरव्यू में कहा कि कोरोना वायरस के नए-नए रूप सामने आते रहेंगे लेकिन सावधानी बरती जाए तो ये ज्यादा चिंता की बात नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना का वायरस खुद को हालात के मुताबिक ढालते हुए नए रूप में सामने आता रहेगा. लेकिन अगर हम सभी तरह की सावधानियां बरतते रहेंगे, तब तक इसे लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. कोरोना से इस जंग में मास्क अहम हथियार हैं. मुझे नहीं लगता कि भारत को कोरोना की चौथी लहर देखने को मिलेगी क्योंकि इसकी संभावना काफी कम लग रही है.

डॉ. राकेश ने कहा कि कोरोना के जितने केस आंकड़ों में दिखाए जा रहे हैं, असलियत उससे कहीं अलग हो सकती है. ये कहीं इससे बहुत ज्यादा हो सकते हैं. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. एहतियात बरतकर कोरोना को दूर रखा जा सकता है. हम लोगों से अपील करते हैं कि एकदूसरे से दूरी बनाकर रखें, मास्क लगाए रखें और साफ-सफाई का ध्यान रखें.

बता दें कि तीन महीने से देश में कोरोना केसों की रफ्तार थम सी गई थी लेकिन पिछले कुछ हफ्तों से कोरोना केसों में इजाफा देखा जा रहा है. 84 दिनों के बाद शुक्रवार को पहली बार देश में नए कोविड केसों की संख्या 4 हजार के पार गई थी. कोरोना केसों में उछाल को देखते हुए केंद्र सरकार ने 5 राज्यों को पत्र भी लिखा था और सख्त निगरानी रखने व कड़े इंतजाम करने को कहा था. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, कर्नाटक और महाराष्ट्र को लिखे पत्र में कहा था कि वहां बढ़ते केस ये आशंका पैदा करते हैं कि संभवतः वहां लोकल इन्फेक्शन हो रहा है.

स्वास्थ्य सचिव ने बताया था कि पिछले तीन महीने से केसों में अच्छी खासी गिरावट आई थी. लेकिन 27 मई को खत्म हुए सप्ताह में 15,708 नए केस आए थे जबकि 3 जून को साप्ताहिक केसों की संख्या 21,055 हो गई. 27 मई वाले सप्ताह में वीकली पॉजिटिविटी रेट 0.52 प्रतिशत था, जो 3 जून वाले हफ्ते में बढ़कर 0.73 फीसदी हो गया.

भारत ही नहीं, दुनिया में इस समय कोरोना केसों में बढ़ोतरी के लिए ओमिक्रोन वैरिएंट को जिम्मेदार माना जा रहा है. देश में ओमिक्रोन के सब वैरिएंट बीए.4 और बीए.5 मिलने के बाद सरकार और एजेंसियां हरकत में आ गई थीं. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है. मशहूर वायरोलॉजिस्ट डॉ. शाहिद जमील ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा था कि अगर कोई वायरस के संपर्क में आता है तो वह संक्रमित हो सकता है, लेकिन हालत गंभीर होने की संभावना कम है. इसकी मुख्य वजह ये है कि देश में ज्यादातर लोग या तो पहले ही वायरस के संपर्क में आ चुके हैं या उन्हें वैक्सीन लग चुकी है. ऐसे में उनके अंदर इम्युनिटी बन चुकी है. ICMR के विशेषज्ञ डॉ. संजय पुजारी ने भी कहा था कि भले ही समय के साथ शरीर में एंटीबॉडी का स्तर कम हो जाए, लेकिन टी सेल्स वायरस को रोकने की कोशिश करते रहेंगे और सुरक्षा देते रहेंगे.

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