इलेक्शन कमीशन प्रयोग के तौर पर रिमोट वोटिंग की संभावना तलाशने में जुटा हुआ है. मंगलवार को बयान जारी करते हुए चुनाव आयोग ने बताया कि प्रवासी मतदाताओं के मुद्दों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा.
नई दिल्ली. इलेक्शन कमीशन प्रयोग के तौर पर रिमोट वोटिंग की संभावना तलाशने में जुटा हुआ है. मंगलवार को बयान जारी करते हुए आयोग ने बताया कि प्रवासी मतदाताओं के मुद्दों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. चुनाव पर्यवेक्षक ने कहा, ‘रिपोर्ट मिलने के बाद राजनीतिक दलों सहित सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श शुरू किया जाएगा.’ हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आयोग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि प्रवासी श्रमिकों को होने वाली समस्याओं को देखने के लिए एक ठोस प्रयास करना होगा. ‘हमें यह देखने की ज़रूरत है कि इसे सुविधाजनक बनाने के लिए किस प्रकार की तकनीक का उपयोग किया जा सकता है.’
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चुनाव आयोग ने देश भर में प्रवासी मजदूरों की आबादी की मैपिंग शुरू करने की योजना बनाई है, ताकि रिमोट वोटिंग शुरू करने के लिए एक रोड मैप तैयार किया जा सके. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को चुनाव आयोग की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया. बैठक में चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडेय भी शामिल हुए. कुमार और पांडे ने 3 जून को उत्तराखंड के चमोली जिले के दुमक और कलगोथ गांवों के सबसे दूरस्थ मतदान केंद्रों में लगभग 18 किमी की दूरी तय करने के कुछ दिनों बाद यह बैठक की है.
हिन्दुस्तान टाइम्स से बात करते हुए आयोग ने कहा, ‘यह नोट किया गया कि दुमक और कलगोठ जैसे गांवों में, लगभग 20-25% पंजीकृत मतदाता अपने निर्वाचन क्षेत्रों में अपना वोट डालने में असमर्थ हैं क्योंकि उन्हें अपनी नौकरी या शैक्षिक गतिविधियों के कारण मोटे तौर पर अपने गांव और राज्य से बाहर जाना पड़ता है. साथ ही यह भी कहा कि ‘यह स्थिति प्रवासी मतदाताओं द्वारा दूरस्थ मतदान की सुविधा के लिए ये एक बड़ा कदम होगा.’
बता दें कि आयोग लोगों को उनके कार्यस्थल से वोट डालने की अनुमति देकर रिमोट वोटिंग की संभावना पर विचार कर रहा है. असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लगभग 10 मिलियन प्रवासी श्रमिक सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं. मौजूदा वक्त में, डाक मतपत्र केवल सेना के जवानों जैसे मतदाताओं के लिए हैं.