आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि दिसंबर तक मुद्रास्फीति में कमी के कोई आसार नहीं है. उन्होंने कहा है कि केंद्रीय बैंक इसे घटाने के लिए सही रास्ते पर है लेकिन महंगाई में कमी मार्च तिमाही में ही देखने को मिलेगी.
नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि मुद्रास्फीति कई देशों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है और आरबीआई इससे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कदम उठा रहा है. एक साक्षात्कार में आरबीआई प्रमुख ने कहा कि बैंक ने मई में महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए अचानक रेपो रेट में वृद्धि से पहले बाजार में लिक्विडिटी को संतुलित करने के लिए कई तरह के उपाय किए थे.
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उन्होंने टीओआई को दिए साक्षात्कार में कहा, “जहां तक चुनौतियों का सवाल है मुद्रास्फीति निश्चित रूप से अधिकांश देशों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. लगभग सभी बाजार और अर्थव्यवस्थाएं बढ़ती मुद्रास्फीति का सामना कर रही हैं. इससे दुनिया भर में सरकारें और केंद्रीय बैंक चिंतित हैं. हमारी मुद्रास्फीति में मौजूदा उछाल मुख्य रूप से वैश्विक कारकों के कारण है.” उन्होंने कहा कि आरबीआई अप्रैल से बी बढ़ती मुद्रास्फीति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कार्रवाई कर रहा है.
धीमे कदमों की आवाज नहीं होती
गवर्नर शक्तिकांत दास से पूछे जाने पर कि आरबीआई ने मई से पहले रेपो रेट क्यों नहीं बढ़ाई, उन्होंने कहा धीमे कदमों की आवाज नहीं होती है. उन्होंने कहा, “हमारी अप्रैल 2022 की नीति में, हमने विकास पर मुद्रास्फीति को प्राथमिकता देकर एक स्पष्ट संदेश भेजा. हमने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी शुरू की जिसकी दर रिवर्स रेपो रेट से 40 बेसिस पॉइंट अधिक थी. नतीजतन ओवरनाइट कॉल रेट भी बढ़ गई. उन्होंने कहा कि इन कदमों का मकसद बहुत आराम से सिस्टम से लिक्विडिटी को हटाना था. उन्होंने कहा कि जब तक आप अतिरिक्त लिक्विडिटी मार्केट से नहीं हटाते तब तक ओवरनाइट कॉल रेट पर कोई असर नहीं होगा इसलिए पहले अतिरिक्त लिक्विडिटी से लड़ना जरूरी था.
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दिसंबर तक ऊंची रहेगी मुद्रास्फीति
शक्तिकांत दास ने यह भी कहा कि भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर तक 6 प्रतिशत से अधिक रहेगी और फिर नीचे आ जाएगी. उन्होंने कहा, “हम मुद्रास्फीति को कम करने के लिए सही रास्ते पर हैं. दिसंबर तक, सीपीआई मुद्रास्फीति निर्धारित दायरे से अधिक रहने का अनुमान है. इसके बाद हमारे वर्तमान अनुमानों के अनुसार इसके 6 प्रतिशत से नीचे जाने की उम्मीद है. मुद्रास्फीति का दबाव होगा, और केवल चौथी तिमाही में, हमने इसे 6 प्रतिशत से नीचे जाने का अनुमान लगाया है.” मुद्रास्फीति अब व्यापक हो गई है और यही वह मुद्दा है जिसे आरबीआई अब अपने कार्यों के माध्यम से संबोधित कर रहा है, उन्होंने कहा.