All for Joomla All for Webmasters
समाचार

स्वपन दास गुप्ता का लेखः भारत को आंदोलनवीजियों की नहीं, अग्निवीरों की जरूरत… कौन जुटा रहा है भाड़े की भीड़?

अग्निपथ स्‍कीम को लेकर हाल में काफी हो-हल्‍ला हुआ। इसके विरोध में सरकारी संपत्तियों को आग में झोंक दिया गया। लोगों को गलत सूचनाएं देकर उकसाया गया। कृषि कानूनों और सीएए में भी कुछ यही हुआ था। हालांकि, अग्निपथ स्‍कीम एक असाधारण स्‍कीम है। भविष्‍य में इसके बहुत शानदार नतीजे देखने को मिल सकते हैं।

Agnipath scheme benefits: अग्निपथ स्‍कीम का ऐलान होते ही इसके विरोध में प्रदर्शन शुरू हो गए। उपद्रवियों ने रेलवे की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। तमाम ट्रेनें कैंसिल हुईं। सामान्‍य जनजीवन पर इसका असर पड़ा। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है। इन सबके पीछे कौन था? ये प्रदर्शन अचानक शुरू हुए। ऐसा तब हुआ जब नरेंद्र मोदी सरकार ने साफ कर दिया कि वह अग्निपथ स्‍कीम को वापस नहीं लेगी। जिस तरह से देशभर में प्रदर्शन की आग फैली उससे एक बात साफ थी। इसमें उन लोगों का हाथ था जिन्‍हें युवाओं की कोई परवाह नहीं है। उनका इस साल 46 हजार अग्निवीरों की भर्ती से कोई लेनादेना नहीं है। इनकी भर्ती चार साल के लिए होनी है।

नागरिकता कानून, कृषि कानून हों या टीवी पर नूपुर शर्मा के खिलाफ गुस्‍सा और अब अग्निवीर, ये सभी प्रकरण एक ओर इशारा करते हैं। भारत में किराये की भीड़ जुटा लेने वाला एक तबका है। भाड़े की यह भीड़ उनका मकसद पूरा करती है जो लोगों के असंतोष से फायदा उठाना चाहते हैं। मोदी ऐसे असंतोषियों के लिए आंदोलनजीवी शब्‍द का इस्‍तेमाल कर चुके हैं। यह उनके लिए फिट भी है जो आए दिन सड़कों पर उतर आते हैं।

सरकार ने कोई गलत कदम नहीं उठाया, यह कहना भी सही नहीं है। कोई भी बड़ा सुधार लाने के लिए सूचनाओं के अंबार की जरूरत पड़ती है। इसी के बूते लोगों को राजी किया जाता है कि बदलाव जरूरी है और यह पहले की व्‍यवस्‍था के मुकाबले बेहतर है। दुर्भाग्‍य से अग्निपथ स्‍कीम के मामले में शुरुआती घोषणाओं में स्‍पष्‍टता की कमी थी। हालांकि, बाद में इस कमी की भरपाई कर दी गई।

अग्निवीर स्‍कीम की आग कैसे सुलगाई गई?
अग्निवीर स्‍कीम मामले ने भी कृषि कानूनों और सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शनों की तरह सुलगना शुरू किया था। सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शनों के पीछे यह गलत सूचना थी कि कुछ मुस्लिमों को देश की नागरिकता से हाथ धोना पड़ सकता है। कृषि कानूनों के विरोध में भी आशंका की यह डोर बनी रही कि गेहूं के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य को हटा दिया जाएगा। इसके बाद अग्निपथ स्‍कीम में जानबूझकर वेतन और भविष्‍य का खौफ पैदा किया गया। वास्‍तविकता पर पर्दा पड़ते ही विरोध के सुर तेज हो गए। हमेशा की तरह मोदी को इसके लिए निशाना बनाया गया।

अग्निपथ को लेकर खड़े हुए विवाद की जड़ में अलग-अलग तरह की धारणाएं थीं। ये सशस्‍त्र बलों की स्थिति को लेकर थीं। पारंपरिक नजरिया रहा है कि सेना, नौसेना और वायु सेना को समाज की गंदगी से अछूता रखा जाए। उसका सिर्फ एक ही काम हो – बाहरी खतरों से देश की सुरक्षा। उससे अपेक्षा की जाती है कि वह समाज की तमाम चीजों से अलग रहे। उसके प्रोफेशनलिज्‍म की परिभाषा राजनी‍तिक रूप से अलग-थलग रहने के इर्द-गिर्द गढ़ी गई। ये बातें उसे पाकिस्‍तान, म्‍यांमार और बांग्‍लादेश की फौजों से अलग करती हैं।

अग्निपथ को लेकर खड़े हुए विवाद की जड़ में अलग-अलग तरह की धारणाएं थीं। ये सशस्‍त्र बलों की स्थिति को लेकर थीं। पारंपरिक नजरिया रहा है कि सेना, नौसेना और वायु सेना को समाज की गंदगी से अछूता रखा जाए। उसका सिर्फ एक ही काम हो – बाहरी खतरों से देश की सुरक्षा। उससे अपेक्षा की जाती है कि वह समाज की तमाम चीजों से अलग रहे। उसके प्रोफेशनलिज्‍म की परिभाषा राजनी‍तिक रूप से अलग-थलग रहने के इर्द-गिर्द गढ़ी गई। ये बातें उसे पाकिस्‍तान, म्‍यांमार और बांग्‍लादेश की फौजों से अलग करती हैं।

कैसे फायदेमंद साब‍ित हो सकती है स्‍कीम?
अग्निपथ का सबसे महत्‍वपूर्ण असर यह है कि कुछ सालों में एक बार हर साल 1.25 लाख अग्निवीरों का रिक्रूटमेंट शुरू होने पर फोर्स सिटीजन आर्मी की दिशा में छोटा सा कदम बढ़ा देगी। निश्चित ही प्रक्रिया पारदर्शी रहेगी। कारण है कि सभी के लिए इसे जरूरी नहीं किया जाएगा। अलबत्‍ता ये पूरी तरह मर्जी पर निर्भर करेगा। सिर्फ 25 फीसदी अग्निवीरों को चार साल बाद नियमित किया जाएगा। लेकिन, इसमें किसी गड़बड़ी की आशंका को दूर रखने के लिए सेना को बहुत चौंकन्‍ना रहना होगा।

अगर सफलतापूर्वक यह स्‍कीम परवान चढ़ी तो नागरिकों के बीच में युवाओं की रिजर्व सेना रहेगी। इसका राष्‍ट्रीय सुरक्षा में पूरक के तौर पर इस्‍तेमाल किया जा सकता है। ये आम नागरिकों में रहकर संजीवनी देने का काम कर सकते हैं। फ्रांस ने ऐसा ही प्रयोगकर किसानों को फ्रेंचमेन में बदलने में सफलता हासिल की। अग्निपथ में भी वही बदलाव करने की क्षमता है। हालांकि, इसके असली प्रभाव के बारे में कोई भविष्‍यवाणी करना सही नहीं होगा। काफी कुछ सामाजिक और राजनीतिक माहौल पर निर्भर करेगा। हालांकि, यह आशंका बिल्‍कुल बेबुनियाद है कि इससे समाज का सैन्‍यीकरण हो जाएगा। यह अपेक्षा जरूर की जा सकती है कि युवा ज्‍यादा राष्ट्रभक्‍त हो जाएंगे। अग्निपथ स्‍कीम कोई साधारण सुधार नहीं है। यह भविष्‍य में भारत की पूरी मानसिकता को बदलने वाला साबित हो सकता है। यही कारण है कि कुछ लोग इस स्‍कीम को लेकर डरे हुए हैं।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

लोकप्रिय

To Top