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उत्तर प्रदेश

Bypolls 2022: आजमगढ़ और रामपुर जैसे समाजवादी गढ़ में BJP ने कैसे पलट दी पूरी बाजी, इनसाइड स्टोरी

Bypolls 2022: आजमगढ़ और रामपुर जैसी सीटों पर कल तक समाजवादी पार्टी का दबदबा माना जाता था लेकिन बीजेपी ने यहां भी सेंध लगा ली, यहां उन फैक्टर्स के बारे में चर्चा कर रहे हैं जिसके कारण समाजवादी पार्टी अपने ही गढ़ में हार गई.

Bypolls 2022: उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में आजमगढ़ (Azamgarh) और रामपुर (Rampur) जैसी सीटों पर BJP का कब्जा होना, राजनीति के बदलते समीकरणों की तरफ इशारा कर रहा है. इन दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी का जबरदस्त दबदबा माना जाता था बावजूद इसके बीजेपी ने किले में सेंध लगा ली. आजमगढ़ से जहां भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ (Dinesh Lal Yadav Nirahua) ने करीबी मुकाबले में सपा के धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) के खिलाफ 8 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की तो वहीं रामपुर से धनश्याम लोधी (Ghanshyam Lodhi) ने 42 हजार वोटों से सपा के प्रत्याशी को हराया. ऐसे में य़ह जानना जरूरी हो जाता है कि Bypolls 2022 कैसे पूरी बाजी पलट गई

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राजनीति पर नजर रखने वाले मानते हैं कि इस पूरे उलटफेर के पीछे कई महत्वपूर्ण फैक्टर जिम्मेदार हैं.सबसे अहम तो यह कि दोनों ही सीटों के प्रचार अभियान के दौरान अखिलेश यादव नदारद दिखे. इसके उलट बीजेपी ने उपचुनावों में एग्रेसिव कैंपेनिंग की. बीजेपी के कई बड़े नेता दोनों सीटों पर प्रचार करने पहुंचे, करीबी मुकाबले में सपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. आजमगढ़ में BSP की मजबूत मौजूदगी से परिणामों पर असर डाला. 

आजमगढ़ में BSP ने शाह आलम को टिकट दिया था, जिन्हें गूड्डू जमाली के नाम से भी जाना जाता है. उपचुनावों में उन्हें 2 लाख 66 हजार वोट मिले. इस आंकड़े ने सपा का सारा खेल बिगाड़ दिया. कहा जाता है आजमगढ़ में बड़े पैमाने पर मुस्लिम मतदाताओं ने गूड्डू जमाली का साथ दिया, वहीं कुछ यादव वोट, सजातीय फैक्टर के कारण निरहुआ के खाते में चले गए. इस तरह आजमगढ़, सपा के हाथ से रेत की तरह फिसल गई.

रामपुर में भी कुछ समीकरणों ने खेल बिगाड़ दिया. इस सीट को आजम खान का गढ़ माना जाता है. यहां से सपा के आसिम राजा के लिए आजम खान ने प्रचार तो किया लेकिन स्थानीय लोगों ने इसलिए ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई क्योंकि उम्मीदवार आजम खान के परिवार से नहीं था. इसके अलावा अखिलेश ने यहां भी प्रचार अभियान से खुद को दूर रखा. कुछ सियासी पंडितों का मानना है कि रामपुर में दलितों ने बीजेपी पर भरोसा दिखाया. जिसके कारण रामपुर भी समाजवादी पार्टी के हाथ से निकल गया.

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2014 और 2019 में प्रचंड मोदी लहर के बावजूद आजमगढ़ जैसी सीट पर समाजवादी पार्टी ने जबरदस्त जीत दर्ज की थी. हाल ही में विधानसभा चुनावों में भी सपा का पलड़ा बीजेपी के मुकाबले भारी रहा था. यहां तक जो निरहुआ आज जीत का सेहरा पहने घूम रहे हैं, वह पिछले चुनावों (2019 लोकसभा) में बुरी तरह से हार गए थे. हालांकि यह बात अलग है कि उस वक्त निरहुआ के सामने अखिलेश यादव मौजूद थे.

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