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धर्म

Vinayaka Chaturthi 2022: आज विनायक चतुर्थी व्रत के दिन पढ़ें यह कथा, दूर होंगे सभी संकट

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आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) व्रत आज 03 जुलाई को है. इस दिन पूजा के समय विनायक चतुर्थी व्रत सुनते हैं या पढ़ते हैं. आइए जानते हैं इस व्रत कथा के बारे में.

आषाढ़ माह की विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) व्रत आज  03 जुलाई दिन रविवार को है. इस दिन गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 02 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 49 मिनट तक है. पंचांग के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल चतुर्थी तिथि की शुरूआत 02 जुलाई को दोप​हर 03:16 बजे से है और इस तिथि की समाप्ति 03 जुलाई को शाम 05:06 बजे होगी. यदि आप 03 जुलाई को विनायक चतुर्थी व्रत हैं, तो विनायक चतुर्थी व्रत कथा को सुनें या उसका पाठ जरूर करें. आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी व्रत कथा के बारे में.

विनायक चतुर्थी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हरिश्चंद्र के समय की बात है. उनके राज्य में एक कुंहार का परिवार रहता था. वे लोग अपना जीवनयापन करने के लिए मिट्टी के बर्तन बनाने का पारंपरिक व्यवसाय करते थे. एक समय ऐसा हुआ कि कुंहार मिट्ठी के बर्तनों को आंवा में पकाने के लिए रखता था, लेकिन वे सभी सही से पकते नहीं थे.

जो भी बर्तनों को ले जाता था, तो वे कच्चे रहने के कारण टूट जाते थे. ग्राहक इसकी शिकायत कुंहार से करने लगे. धीरे-धीरे उसके ग्राहकों की संख्या कम होने लगी, ​इससे उसकी आमदनी भी कम हो गई. कुंहार इस बात से काफी परेशान हो गया.

एक दिन वह एक मंदिर के पुजारी के पास अपनी समस्या लेकर पहुंचा. उसने सारी बातें उस पुजारी को बताई. पूरी बातें सुनने के बाद पुजारी ने उसे सलाह दी कि उस आंवा में मिट्टी के बर्तनों के साथ एक छोटे बालक को भी डाल दो.

अगली बार जब कुंहार ​बर्तन पकाने के लिए ​आंवा में रखा, तो उसने एक बालक को भी उसमें डाल दिया. उस दिन चतुर्थी व्रत था. दूसरी ओर उस बालक की मां उसे खोज रही थी. काफी समय व्यतीत होने के बाद जब उसका बेटा नहीं मिला तो उसने गणेश जी की प्रार्थना की और कहा कि हे विघ्नहर्ता! गणेश जी ने पुत्र की रक्षा कीजिएगा.

रात व्यतीत हो गई, तो कुंहार सुबह बर्तन को देखने आंवा के पास आया. वह देखकर आश्चर्य में पड़ गया कि बर्तन तो अच्छे से पक गए हैं और वह बालक भी जीवित बच गया है. इस घटना से वह कुंहार बहुत डर गया. वह राजा के दरबार में जाकर इस घटना के बारे में जानकारी दी.

यह सारी बातें सुनने के बाद राजा ने बालक के माता-पिता को राज दरबार में बुलाया और उस बालक को सकुशल उनको सौंप दिया गया. उस दिन बालक की माता ने बताया कि उसने चतुर्थी व्रत रखा था और गणेश जी से बालक की कुशलता की प्रार्थना की थी. उनके ही आशीर्वाद से उसका बेटा सकुशल लौट आया है और उस पर आया संकट टल गया है.

इस घटना के बाद से राज्य में लोग चतुर्थी व्रत रखने लगे और गणेश जी की पूजा अर्चना करने लगे.

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