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दालों की महंगाई पर मिलेगी राहत! मोदी सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला

Pulses Import: सरकार दाल की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए इम्पोर्ट बढ़ाएगी. इसके लिए सरकार ने तीन देशों- म्यांमार, मलावी और मोजांबिक से करार किया है.सरकार उड़द और अरहर का इम्पोर्ट करेगी.

Pulses Import: दालों की कीमतों को कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा फिसला लिया है. बढ़ती महंगाई के बीच सप्लाई के दबाव को कम करने के लिए सरकार ने अगले 5 वर्षों के लिए तूर और उड़द दाल का इम्पोर्ट बढ़ाने का फैसला किया है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि सरकार म्यांमार, मलावी और मोजाम्बिक से तूर और उड़द का इम्पोर्ट करेगी. अधिसूचना के अनुसार, भारत अगले पांच वित्तीय वर्षों 2021-22 से 2025-26 में म्यांमार से प्राइवेट ट्रेड के जरिए 2,50,000 मीट्रिक टन उड़द और 1,00,000 मीट्रिक टन तूर इम्पोर्ट करेगा.

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किन देशों से कितना इम्पोर्ट होगा दाल

मंत्रालय के मुताबिक, 2022-26 की अवधि के दौरान प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए म्यांमार से 2,50,000 मीट्रिक टन उड़द और 1,00,000 मीट्रिक टन तूर का आयात किया जाएगा. मलावी से भारत अगले पांच वित्तीय वर्षों में 50,000 मीट्रिक टन तूर का इम्पोर्ट करेगा. मोजाम्बिक से सरकार ने 2022-26 के दौरान प्राइवेट ट्रेड के जरिए सालाना 2,00,000 मीट्रिक टन तूर दाल इम्पोर्ट करने का फैसला लिया है.

यहां से इम्पोर्ट होगा दाल

मंत्रालय ने कहा कि इम्पोर्ट केवल मुंबई, तूतीकोरिन, चेन्नई, कोलकाता और गुजरात के हजीरा में बंदरगाहों से ही होगा.दालों के आयात को बढ़ाने के निर्णय का उद्देश्य कीमतों को नियंत्रण में रखना और बढ़ती मांग को पूरा करना भी है.

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शर्तें

  • इम्पोर्ट केवल मुंबई, तूतीकोरिन, चेन्नई, कोलकाता और हजीरा पोर्ट से ही होगा
  • वैध ‘Certificate of Origin’ जरूरी है.
  • आयातक को Import Management System पर रजिस्टर करना होगा.

दाम करने के लिए सरकार ने उठाए ये कदम

इससे पहले सोमवार को वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा को बताया कि प्रमुख आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की स्थिति की सरकार द्वारा नियमित रूप से निगरानी की जाती है और समय-समय पर सुधारात्मक कार्रवाई की जाती है. उन्होंने कहा कि इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी और दालों पर सेस सहित कई सप्लाई साइड के उपाय महंगाई को कम करने और यह सुनिश्चित करने के लिए किए गए हैं ताकि आम आदमी पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ न पड़े.

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